ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत में पिछले साल से नई नौकरियों की संख्या में दोगुने से अधिक वृद्धि हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार साल 2023-24 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 46.6 मिलियन नई नौकरियां अस्तित्व में आई हैं। देश में कार्यरत लोगों की कुल संख्या 2022-23 में 596.7 मिलियन से बढ़कर 31 मार्च, 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष में 643.3 मिलियन हो गई जबकि 2017-18 और 2021-22 के बीच औसतन 20 मिलियन नौकरियां सृजित की गईं।
प्रोडक्शन के पांच इनपुट
आरबीआई के केएलईएमएस डेटाबेस में प्रोडक्शन के पांच इनपुट शामिल हैं- कैपिटल (के), लेबर (एल), एनर्जी (ई), मैटेरियल (एम) और सर्विसेस (एस)। यह डेटाबेस 27 उद्योगों के लिए बनाया गया है, जिन्हें मिलाकर छह सेक्टर बनाए गए हैं, जो पूरी अर्थव्यवस्था को कवर करते हैं। आरबीआई ने पहली बार उपलब्ध जानकारी के आधार पर वित्त वर्ष 24 में कुल अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादकता का अनंतिम अनुमान भी लगाया है।
अर्थव्यवस्था में श्रम की गुणवत्ता
यह श्रमिकों के शिक्षा स्तर के आधार पर अर्थव्यवस्था में श्रम की गुणवत्ता को दर्शाता है। डेटा शिक्षा के स्तर और आयु समूहों में रोजगार में वृद्धि दर्शाता है। वित्त वर्ष 2018 में बेरोजगारी अनुपात 2.2 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 1.4 प्रतिशत हो गया है। निर्माण को छोड़कर सेवा क्षेत्र अब कृषि से बाहर जाने वाले अधिकांश कार्यबल को सोख रहा है। यह 2000-2011 की अवधि के बिल्कुल विपरीत है जब निर्माण क्षेत्र कार्यबल को अधिकांश रोजगार दे रहा था।
शिक्षित श्रमिकों की हिस्सेदारी में वृद्धि
भारतीय रिजर्व बैंक के डाटा से यह पता चलता है कि वित्तीय और व्यावसायिक सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी उच्च-कुशल गतिविधियों में शिक्षित श्रमिकों की हिस्सेदारी में वृद्धि देखी जा रही है।
दस साल में 12.5 करोड़ अवसर
वित्त वर्ष 14 से लेकर 23 के बीच 12.5 करोड़ रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं, जो कि वित्त वर्ष 4 से वित्त वर्ष 14 के मुकाबले 4.3 गुना ज्यादा हैं। भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 14 से 23 के बीच 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं ं, जबकि वित्त वर्ष 4 से लेकर वित्त वर्ष 14 के बीच यह आंकड़ा 2.9 करोड़ पर था।
मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर में 8.9 करोड़ रोजगार
अगर कृषि से जुड़े रोजगार को अलग कर दिया जाए तो वित्त वर्ष 14 से वित्त वर्ष 23 के बीच मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में 8.9 करोड़ रोजगार पैदा हुए। वहीं, वित्त वर्ष 4 से वित्त वर्ष 14 के बीच 6.6 करोड़ नए रोजगार के अवसर पैदा हुए।
आंकड़ा 20 करोड़ के पार
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एमएसएमई मंत्रालय के पास पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) में रोजगार का आंकड़ा 20 करोड़ को पार कर गया है। एमएसएमई मंत्रालय के उद्यम पोर्टल पर 4 जुलाई तक के आंकड़े के अनुसार, 4.68 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई में 20.20 करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। इसमें से 2.3 करोड़ नौकरियां जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) से छूट वाली अनौपचारिक सूक्ष्म इकाइयों में मिल रही है। एमएसएमई में पिछले साल जुलाई के मुकाबले नौकरियों में 66 प्रतिशत का इजाफा हुआ ह।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़े
एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार, सौम्य कांति घोष ने कहा कि ईपीएफओ और आरबीआई के केएलईएमएस (कैपिटल/के, लेबर/एल, एनर्जी/ई, मैटेरियल/एम और सर्विसेज/एस) डेटा की तुलना करने पर काफी अच्छा ट्रेंड निकल कर आ रहा है। ईपीएफओ का डेटा, जो कि कम आय की नौकरियों के डेटा को संकलित करता है, उसका शेयर नौकरियों में घटकर वित्त वर्ष 24 में 28 प्रतिशत रह गया है, जो कि पिछले 5 वर्ष की अवधि (वित्त वर्ष 19 से लेकर वित्त वर्ष 23) में औसत 51 प्रतिशत था।
दिख रही अच्छी तस्वीर
यह दिखाता है कि लोगों को आसानी से अच्छी नौकरियां मिल रही हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किए जाने के कारण कंस्ट्रक्शन सेक्टर में रोजगार के अवसर में काफी इजाफा हुआ है।