ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम की चिंटेल्स पैराडाइसो सोसायटी के बिल्डरों को लगभग 125 फ्लैट खरीदारों को वैकल्पिक आवास के लिए किराया देने का निर्देश दिया। ये लोग अपने घरों के पुनर्निर्माण के लिए साइट खाली करने पर सहमत हुए थे। इस सोसायटी में फरवरी, 2022 में छत गिरने से दो लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हुए थे। सोसायटी इमारतों के सुरक्षा ऑडिट के बाद फ्लैट मालिक अस्थायी रूप से बाहर निकलने पर सहमत हुए थे, जिसमें पाया गया कि सोसायटी के नौ टावरों में से पांच संरचनात्मक रूप से असुरक्षित थे।
सुप्रीम कोर्ट सोसायटी के लगभग 188 निवासियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने 10 फरवरी 2022 को हुई इस दुर्घटना की जांच की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था और ऐसी घटना भविष्य में दोबारा न हो पाए, इसके लिए अपनी इमारतों की सुरक्षा ऑडिट की मांग की थी।
चल रही सीबीआई जांच
सीबीआई ने जनवरी 2023 में मामले की जांच शुरू कर दी थी और आईआईटी-दिल्ली ने संबंधित संरचनाओं का सुरक्षा ऑडिट किया था। लिहाजा जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ को सोसायटी में बने रहने का विकल्प चुनने वाले निवासियों के लिए वैकल्पिक निवास का मुद्दा, बशर्ते कि बिल्डर उसी स्थान पर इसका पुनर्निर्माण करने का वचन दे, को लेकर जांच करनी थी।
फ्लैट को सरेंडर करने का विकल्प चुना था
कुछ घर खरीदारों ने स्टांप शुल्क सहित फ्लैट के लिए भुगतान की गई राशि के बदले अपने फ्लैट को सरेंडर करने का विकल्प चुना था। पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, जो लोग चाहते हैं कि बिल्डर परियोजना को दोबारा से बनाए, उन्हें जरूरी रूप से इमारतों को खाली करना होगा। पीठ ने कहा कि पुनर्निर्माण शुरू होने से परियोजना पूरी होने तक बिल्डर को प्रभावित फ्लैट खरीदारों को उनके वैकल्पिक आवास के लिए उचित किराया भुगतान करना होगा।
सभी अनुमतियां शीघ्र प्रदान हों
न्यायालय ने अतिरिक्त महाधिवक्ता आलोक सांगवान को हरियाणा सरकार से यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि पुनर्निर्माण के लिए सभी अनुमतियां शीघ्र प्रदान की जाएं। चूंकि पहले से ही डिविजनल कमिश्नर, गुरुग्राम की अध्यक्षता में एक समिति चिंटेल्स सोसायटी से संबंधित मामले की निगरानी कर रही है, इसलिए अदालत ने “उचित किराए” की रकम तय करने का काम इस समिति पर छोड़ दिया। जहां तक सीबीआई जांच का सवाल है, पीठ ने एजेंसी को अपनी जांच को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने का निर्देश दिया। टावर के निर्माण में शामिल बिल्डर और ठेकेदार को इस घटना के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और जांच एजेंसी ने संबंधित अदालत के समक्ष दो आरोपपत्र दायर किए थे।
125 ने अपने घरों को असुरक्षित माना
मामले में घर खरीदारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि अदालत में प्रतिनिधित्व करने वाले 188 याचिकाकर्ताओं में से लगभग 125 ने पांच टावरों में अपने घरों को असुरक्षित माना है। भूषण ने आशंका जताई थी कि बिल्डर की ओर से पुनर्निर्माण शुरू करने में अत्यधिक देरी हो सकती है और अदालत से आग्रह किया कि पुनर्निर्माण शुरू होने की तारीख से पहले की अवधि के लिए भी किराए का भुगतान किया जाना चाहिए।
हालांकि कोर्ट ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया।
बिल्डर ने मांगा था भुगतान
चिंटेल्स के मालिक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील एएनएस नाडकर्णी ने अदालत को बताया कि निवासियों ने 7 साल से फ्लैटों पर कब्जा कर रखा है और अब उन्हें बिल्कुल नई इमारत मिलेगी, जिसके लिए उन्हें भुगतान करने को तैयार रहना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘यह बिल्डरों और खरीदारों के बीच चर्चा का विषय हो सकता है।
आईआईटी ने सौंपी थी दो रिपोर्ट
आईआईटी-दिल्ली ने मार्च
हरियाणा सरकार ने अदालत को सूचित किया कि आईआईटी-दिल्ली ने मार्च 2022 और जनवरी 2023 में जिला नगर नियोजन विभाग को दो रिपोर्ट सौंपी थीं, जिनमें कहा गया था कि परियोजना क्षेत्र में कंक्रीट में मिश्रित रेत में उच्च क्लोराइड सामग्री ने क्षेत्र में कई परियोजनाओं को प्रभावित किया है। इस रिपोर्ट के बाद, असुरक्षित पाए गए पांच टावरों के निवासियों को रिफंड मांगने या पुनर्निर्माण के लिए अतिरिक्त लागत का भुगतान करने के लिए कहा गया। कुछ निवासियों ने पहले विकल्प का लाभ उठाया जबकि अधिकांश ने पुनर्निर्माण का विकल्प चुना।