आस्था भट्टाचार्य
कानपुर । सूखा पड़ने की स्थिति में किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अब आईआईटी कानपुर कृत्रिम बारिश करा कर किसान के खेत को सिंचित कर देगा। बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त इलाकों और लखनऊ के प्रदूषण को कम करने में भी आईआईटी मदद करेगा। इसे आईआईटी कानपुर की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। पांच हजार फुट की ऊंचाई से एयरक्राफ्ट में लगी डिवाइस की मदद से आईआईटी के ऊपर हवा में सिल्वर आयोडाइड, सूखी बर्फ, साधारण नमक से मिले हुए केमिकल का छिड़काव किया गया।
नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) की अनुमति के बाद आईआईटी कानपुर ने क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक भरी। आने वाले कुछ हफ्तों में फिर क्लाउड सीडिंग का परीक्षण कराया जाएगा। यह परियोजना कुछ साल पहले शुरू की गई थी और इसका नेतृत्व आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया है।
अनोखा अनुभव
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने बताया कि हमने एक यूनिक एक्सपेरिमेंट पूरा किया है। क्लाउड सीडिंग की टेस्टिंग सफल रही है। सेसना एयरक्राफ्ट के जरिए कृत्रिम बादल बनाए गए। प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल ने कहा कि हालांकि हमने बादलों में फ्लेयर्स को फायर नहीं किया। ये उपकरण के लिए एक ट्रायल था। अब हम अगले चरणों में क्लाउड सीडिंग चलाने के लिए तैयार हैं। हम इस प्रोजेक्ट पर बीते कई सालों से काम कर रहे हैं। कोरोना काल की वजह से इसकी खरीद प्रक्रिया में देरी हुई। उत्तर प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले क्लाउड सीडिंग के परीक्षण की इजाजत दे दी थी।
भारत में पहली बार
आईआईटी कानपुर के माध्यम से भारत ें पहली बार यह उपलब्धि मिली। इससे पहले चीन में ऐसा किया जा चुका है। इसको लेकर संस्थान के वैज्ञानिकों में काफी खुशी व उत्साह है।
बढ़ते प्रदूषण, सूखे पर सरकार थी चिंतित
प्रदेश व केंद्र सरकार की चिंता दिन पर दिन बढ़ रही थी क्योंकि आए दिन कहीं न कहीं सूखा पड़ने के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था तो वहीं देश के अंदर बढ़ रहा प्रदूषण लोगों की जान का दुश्मन बन रहा है। ऐसे में सरकार की चिंता को दूर करने के लिए आईआईटी कानपुर आगे आया।