ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा है कि आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला। उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी। सभी जानते हैं।
दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह इस बात की याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है।
उन्होंने कहा- हमने 1950 में संविधान अपनाया और इसका अनुसरण किया। यही वजह है कि स्वतंत्रता में किसी प्रकार का दखल नहीं है। स्वतंत्रता या आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ये कितनी महत्वपूर्ण है, अतीत की कहानियों से समझा जा सकता है।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये भी कहा कि आज का दिन हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की याद दिलाता है।
आजादी की लड़ाई में वकालत छोड़ने वालों को सलाम
चंद्रचूड़ ने कहा- आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला, उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी, ये सभी जानते हैं। हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए वकालत तक छोड़ दी।
महापुरुषों ने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया
बाबा साहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्लाह जैसे कई महापुरुषों ने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। ये सभी भारत की आजादी के नायक थे। इन्होंने एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी योगदान दिया।
कोर्ट की मौजूदा प्रोसेस पर भी बात की
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोर्ट की मौजूदा प्रोसेस पर भी बात की। उन्होंने कहा- पिछले 24 सालों में एक जस्टिस के रूप में मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि कोर्ट का काम उतना ही संघर्ष भरा है, जितनी एक आम आदमी की जिंदगी।
उतना आसान काम नहीं
कोर्ट में सभी धर्म, जाति, लिंग, गांव और शहरों के लोग आते हैं। इन सभी को चुनिंदा संसाधनों में और दायरे में रहकर न्याय दिलाना होता है। यह उतना आसान काम नहीं है।
जजों के पास सातों दिन काम
सीजेआई ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा, सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं।
….प्रोसेस ही पनिशमेंट
जस्टिस चंद्रचूड़ ने 3 अगस्त को कहा था कि लोग कोर्ट के मामलों से इतने तंग आ जाते हैं कि वे बस सेटलमेंट चाहते हैं। कोर्ट का प्रोसेस पनिशमेंट जैसा है। यह जज के रूप में हम सभी के लिए चिंता का कारण है।