मनोज जैन
नई दिल्ली। देश के बैंकों के ग्रॉस एनपीए में कमी आई है। बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2018-19 में बैंकों के एसेट क्वालिटी में सुधार की प्रक्रिया की शुरुआत हुई थी, वो वित्त वर्ष 2022-23 और 2023-24 के पहले छमाही में भी जारी रही जिसके बाद सितंबर 2023 की समाप्ति पर बैंकों का ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (जीएनपीए) घटकर 3.2 फीसदी पर आ गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकिंग सेक्टर के ट्रेंड्स और प्रोग्रेस को लेकर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बैंकिंग सेक्टर के प्रदर्शन का जिक्र किया गया है जिसमें 2022-23 और 2023-24 के दौरान को-ऑपरेटिव बैंकों और एनबीएफसी का प्रदर्शन भी शामिल है।
कमर्शियल बैंकों की बैलेंसशीट में उछाल
रिपोर्ट के मुताबिक रिटेल और सर्विसेज सेक्टर्स को क्रेडिट में बढ़ोतरी, बैंकों में डिपॉजिट बढ़ने के चलते शेड्यूल कमर्शियल बैंकों की बैलेंसशीट में 2022-23 में 12.2 फीसदी का उछाल देखने को मिला है। हालांकि बैंकों का डिपॉजिट ग्रोथ क्रेडिट ग्रोथ रेट के मुकाबले कम रहा है।
नेट इंटरेस्ट मार्जिन और मुनाफे में उछाल
2022-23 में ब्याज से कमाई यानि नेट इंटरेस्ट इनकम के ज्यादा रहने और कम प्रॉविजनिंग के चलते बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन और मुनाफे में उछाल देखने को मिला।
ग्रॉस बैंक क्रेडिट में तेजी आई
बैंकिंग सेक्टर के ट्रेंड्स और प्रोग्रेस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022-23 में पर्सनल लोन और सर्विसेज सेक्टर को ज्यादा लोन दिए जाने के चलते ग्रॉस बैंक क्रेडिट में तेजी आई। पर्सनल लोन में क्रेडिट कार्ड लोन जैसी अनसिक्योर्ड लेंडिंग में उछाल रहा है। एनबीएफसी को ज्यादा कर्ज दिए जाने के चलते सर्विसेज सेक्टर की लेंडिंग में ग्रोथ आया है। सितंबर 2023 तक बैंकों का ग्रॉस एनपीए सबसे ज्यादा कृषि क्षेत्र में रहा है। जबकि सबसे कम रिटेल लोन में रहा।