ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपने ई-गवर्नेंस माॅडल में नई क्रांति लाने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। इसके तहत सभी सरकारी डिजिटल प्लेटफाॅर्म पर पड़े करोड़ों डेटा का सुपरफास्ट माॅडल टूल्स के जरिए कभी भी एनालिसिस हो सकेगा।
टेक्नोलाॅजी विशेषज्ञों का मानना है कि 1625 करोड़ रु. के इस प्रोजेक्ट को आसान भाषा में चैट जीपीटी का स्वदेशी संस्करण कह सकते हैं। इसमें केंद्र व राज्य के सभी विभागों में पड़े सभी तरह के डेटा का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस के इस माॅडल में दूसरे चैटबाॅट माॅडल जैसी खामियां नहीं होंगी क्योंकि इसे फैक्चुअली सही डेटा मिलेगा और यह ओपन सोर्स पर निर्भर नहीं होगा। सरकारी मशीनरी में जमा हो रहे तमाम डेटा इस सर्टिफाइड प्लेटफार्म को मिलेंगे, लिहाजा फैक्ट्स पर संदेह की गुंजाइश नहीं बचेगी।
प्रोजेक्ट के लिए 3 ‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस’ बनाए
केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को ‘इंडिया-एआई’ नाम दिया है। इसे लागू करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए देश की तीन अलग-अलग यूनिवर्सिटी में ‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस’ बनाए जा चुके हैं। इन सेंटर्स को एकेडमिक, उद्योगों, स्टार्टअप्स आदि के सभी मंचों से जोड़ा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, इसके लिए विशेषज्ञों के अलग-अलग वर्किंग ग्रुप भी बनाए जा चुके हैं।
चेहरों की पहचान के लिए हरेक सीसीटीवी का डेटा
इस प्रोजेक्ट से देश के सभी सीसीटीवी कैमरे लाइव जुड़ेंगे। इससे ‘फेशियल रिकग्निशन’ आसान होगा। सरकारी डिजिटल डेटाबेस में यह चैटबाॅट डेटाग्रिड की तरह काम करेगी। इस प्लेटफाॅर्म से केंद्र सरकार के एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस जैसे- आधार डेटा, यूपीआई, ई-साइन और डिजिलाॅकर भीजुड़ जाएंगे।