ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के हालिया मराठा आरक्षण अधिनियम पर तत्काल अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। नवीनतम आरक्षण के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अंतिम सुनवाई और उनकी याचिकाओं के निपटारे तक अधिनियम के कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने हालांकि कहा कि किसी कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामलों में अनुमानित संवैधानिकता का एक सिद्धांत है और इसलिए सभी तर्कों को उचित महत्व दिया जाना चाहिए।
पीठ ने कहा, हम राज्य को अंतरिम राहत पर जवाब देने के लिए कुछ समय देना चाहते हैं। यह (कोटा निर्णय) एक साधारण प्रशासनिक आदेश नहीं है। यह एक कानून है। इसलिए हमें कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते समय निर्धारित सिद्धांतों को ध्यान में रखना होगा।
पीठ ने यह भी बताया कि पिछले हफ्ते एक समन्वय पीठ ने कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक अंतरिम आदेश में कहा था कि नए मराठा कोटा कानून के तहत दिया गया कोई भी एडमिशन या रोजगार इस अदालत के अंतिम आदेशों के अधीन होगा।
अंतरिम राहत देने पर सभी याचिकाओं पर सुनवाई
पीठ ने कहा, यह अधिनियम के तहत एडमिशन या रोजगार चाहने वाले उम्मीदवारों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी/ संकेत/ नोटिस है। हम अंतरिम राहत देने पर सभी याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।
सरकार को हलफनामा दाखिलकरने का निर्देश
अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को याचिकाओं के जवाब में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और सुनवाई स्थगित करते हुए कहा, ”अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर हम 10 अप्रैल को याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।
आरक्षण का प्रतिशत 72 हो गया
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि अतीत में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण को रद कर दिया था। याचिकाकर्ताओं में से एक, जो एक वकील भी हैं, गुणरतन सदावर्ते ने कहा कि नए मराठा कोटा कानून के साथ महाराष्ट्र में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रतिशत 72 हो गया है जिससे सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए केवल 28 प्रतिशत रह गया है।
सभी राज्यों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत
एक अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील अरविंद दातार ने तर्क दिया कि सभी राज्यों के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है और सभी राज्य इस सीमा का पालन कर रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इसे पार कर लिया है। इसकी वैधता पर निर्णय होने तक अधिनियम के कार्यान्वयन पर रोक लगाई जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि मराठाओं को कोटा सक्षम करने वाला विधेयक पिछले महीने राज्य विधानमंडल के एक विशेष सत्र में पारित किया गया था।