ब्लिट्ज ब्यूरो
इंदौर। यह बात इन दिनों अक्सर कही-सुनी जाती है कि भारत अब बदल रहा है, किंतु इंदौर का एक सीबीएसई स्कूल तो मानो इस बदलाव का सबसे ताजा उदाहरण बन गया है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं के एक हाथ में श्रीमद्भगवद गीता है, तो दूजे हाथ में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) जैसी आधुनिक पढ़ाई का कोर्स।
गीता पढ़ने के चलते अब छात्राओं की चैतन्यता बढ़ गई है, पढ़ाई में अधिक मन लगता है, बोरियत का भाव नहीं आता और अपनी संस्कृति के प्रति समझ विकसित हुई है। यह सब हो रहा है इंदौर स्थित सीबीएसई स्कूल श्री क्लाथ मार्केट वैष्णव बाल मंदिर गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में।
यहां परंपरागत ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का ऐसा अद्भुत सम्मिश्रण हो रहा है कि छात्राएं भारतीयता के विचार से लबरेज हैं। इन्हें पूरे वर्ष गीता के अध्याय पढ़ाए जाते हैं और उसके प्रत्येक श्लोक का अर्थ इस तरह सिखाया जाता है कि वे उसे प्रैक्टिकल करते हुए अपने जीवन में उतार सकें।
ऐसे सिखाते हैं
प्राचार्य आभा जौहरी बताती हैं कि स्कूल में आधुनिक पढ़ाई के साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कौशल विकास आदि भी सिखाए जा रहे हैं। नौवीं कक्षा से ऊपर की छात्राओं को एआई विषय पढ़ाया जाता है। पहले शिक्षिकाएं बच्चों को ब्लैकबोर्ड पर संस्कृत में श्लोक लिखकर बताती हैं, फिर उनका हिंदी अर्थ सिखाती हैं। सही उच्चारण करना सिखाते हैं टीचर। प्रतिदिन असेंबली में सभी छात्राएं एक साथ श्लोक दोहराती हैं।
– पढ़ाई में अधिक मन लगता है, घट रहा बोरियत का भाव
अध्याय 15 के सभी श्लोक हुए याद
मैंने पिछले वर्ष गीता के श्लोक सीखने शुरू किए। पहले कुछ कठिन लगे, लेकिन जब समझना शुरू किया तो मैं चकित रह गई कि गीता में कितना कुछ है। मैं अभी गीताजी की कक्षा के लेवल थ्री में हूं और मेरा दृष्टिकोण बदल गया है। चिड़चिड़ापन जा रहा है और धैर्य महसूस होता है। मुझे अध्याय 15 के सभी श्लोक याद हो गए हैं।
– मनस्वी तिवारी, कक्षा छह
श्लोक पढ़ने के बाद एकाग्रता आती है
मैं वर्ष 2021 से स्कूल में गीता के श्लोक सीख रही हूं। अब तक अध्याय 15 पूरा सीख लिया है। घर पर भी मां-पापा रामायण और गीता पढ़ते हैं। श्लोक पढ़ने के बाद मुझे अच्छा फील होता है और एकाग्रता बढ़ती है। मेरा बोलने का तरीका भी सुधर रहा है।
– प्राची जोशी, कक्षा सात