ब्लिट्ज ब्यूरो
भोपाल। आवारा पशुओं की समस्या को लेकर हाई कोर्ट और जनता के दबाव में मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सड़कों पर आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए 2,000 लोगों को नियुक्त की जाएगी। राजमार्गों पर स्थित 1,000 गांवों की ग्राम पंचायतें इस उद्देश्य के लिए दो-दो लोगों को नियुक्त करेंगी। उनका काम मवेशियों को मुख्य सड़कों या राजमार्गों पर आने से रोकना होगा, जिससे दुर्घटनाएं और जानमाल का नुकसान हो।
मध्य प्रदेश में 25,000 ग्राम पंचायतें
अधिकारियों ने बताया कि मध्य प्रदेश में करीब 25,000 ग्राम पंचायतें हैं जिनमें से मुख्य राज्य मार्गों पर पंचायतों की संख्या 1,000 है। इन 1,000 ग्राम पंचायतों में नियुक्त लोगों को करीब 10,000 रुपये प्रति व्यक्ति मानदेय भी मिलेगा। मुख्य राज्य मार्गों पर मवेशियों की समस्या से निपटने के लिए एक पखवाड़ा अभियान चलाने के लिए गठित समिति की बैठक के बाद इस संबंध में निर्णय लिया गया।
समिति की अध्यक्षता
समिति की अध्यक्षता गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कर रहे हैं। इसके सदस्य अतिरिक्त मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग से हैं जबकि प्रमुख सचिव, पशुपालन एवं डेयरी विभाग समिति के सदस्य हैं।
इसका अर्थ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा शहरी क्षेत्रों में नगरीय आवास एवं विकास विभाग अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में आवारा पशुओं की समस्या को रोकने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
सरकार करेगी सार्वजनिक घोषणाएं
सरकार सार्वजनिक घोषणाएं भी करेगी, जिसमें किसानों से कहा जाएगा कि वे अपने मवेशियों को सड़कों पर न छोड़ें। मध्य प्रदेश में सड़कों पर नौ लाख से अधिक मवेशी हैं। 1 जुलाई से पांच जिलों- रायसेन, विदिशा, सीहोर, देवास और राजगढ़ को जोड़ने वाले राज्य राजमार्गों पर सड़क दुर्घटनाओं में करीब 150 मवेशियों की मौत हो चुकी है।
गायों की तस्करी
सरकार ने जानकारी दी कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में 7,500 गायों को तस्करों से मुक्त कराया गया है और गायों को ले जा रहे 1,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वर्ष 2019 से 2024 तक राज्य में गायों के लिए मिलने वाली राशि में 26 गुना वृद्धि देखी गई।