संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को चुनाव से ठीक पहले बड़ी जीत हासिल हुई है। इकोनॉमी के मोर्चे पर जो सरकारी आंकड़े आए हैं वो बताते हैं कि सरकार के प्रयासों के चलते देश में आर्थिक विकास की दर बढ़ी है। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 8.4 प्रतिशत रही है। पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 4.3 प्रतिशत थी यानी इस बार दोगुनी वृद्धि दर दिखाई दी है। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 293 लाख करोड़ की होगी। इसका आकार नौ फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने इस संबंध में ताजा आंकड़े पेश कर दिए हैं। इनमें कहा गया है कि पूरे चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ 7.6 प्रतिशत रह सकती है।
कंस्ट्रक्शन और मैन्यूफैक्चरिंग ने बदली दशा
देश की आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाई पर लाने का काम अक्टूबर-दिसंबर में 3 प्रमुख सेक्टर्स ने किया है। सबसे ज्यादा ग्रोथ कंस्ट्रक्शन सेक्टर में देखने को मिली है, जबकि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की परफॉर्मेंस भी जबरदस्त है। किसी देश की जीडीपी ग्रोथ एक फिक्स टाइम पीरियड में वहां उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य में वृद्धि को बताती है।
आंकड़ों के हिसाब से अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 11.6 प्रतिशत और कंस्ट्रक्शन सेक्टर की वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रही है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 10.7 प्रतिशत और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की 8.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
– मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार का राजकोषीय घाटा 17.35 लाख करोड़ रुपए यानी जीडीपी का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
आए राजकोषीय घाटे के भी आंकड़े
इसी के साथ सरकार ने देश में अब तक के राजकोषीय घाटे और 8 कोर इंडस्ट्री के ट्रेंड के आंकड़े भी जारी कर दिए। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में जनवरी के अंत तक सरकार का राजकोषीय घाटा 11 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया। ये सरकार के सालभर के राजकोषीय घाटे के संशोधित टारगेट का 63.6 प्रतिशत है। एक साल पहले के इसी टाइम फ्रेम में सरकार का राजकोषीय घाटा 67.8 प्रतिशत पर पहुंच गया था। मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार का राजकोषीय घाटा 17.35 लाख करोड़ रुपए यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
8 कोर इंडस्ट्री में सुस्ती
इसी बीच देश के 8 कोर इंडस्ट्री सेक्टर के आंकड़े भी आ गए हैं। 8 प्रमुख बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर जनवरी में सुस्त पड़कर 3.6 प्रतिशत पर आ गई है। यह इसका 15 माह का निचला स्तर है। इन आठ सेक्टर्स में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं। रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, खाद, इस्पात और बिजली जैसे क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण वृद्धि धीमी हुई है। देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में आठ प्रमुख क्षेत्रों का योगदान 40.27 प्रतिशत है।