• Latest
  • Trending
Gayatri Mantra despite being a Muslim, Rigveda memorized

मुस्लिम होकर भी गायत्री मंत्र, ऋग्वेद कंठस्थ

June 9, 2023
Hurt President Draupadi Murmu's message through a special article, enough is enough

आहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विशेष लेख के जरिये संदेश बस अब बहुत हुआ

August 30, 2024
मनी लांड्रिंग केस में इकबालिया बयान को सीधे सुबूत नहीं मान सकते

मनी लांड्रिंग केस में इकबालिया बयान को सीधे सुबूत नहीं मान सकते

August 30, 2024
court

पहली नजर में एससी, एसटी का मामला न दिखे तो अग्रिम जमानत मिले

August 30, 2024
अनेक सवाल खड़े कर गया कोलकाता कांड

अनेक सवाल खड़े कर गया कोलकाता कांड

August 30, 2024
AI will tell about lung disease by the sound of cough

एआई बताएगी खांसी की आवाज से फेफड़ों की बीमारी का पता

August 30, 2024
महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दी थी 5 सीख

महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दी थी 5 सीख

August 30, 2024
People are shedding blood for water all over the world

दुनियाभर में पानी के लिए खून बहा रहे लोग

August 30, 2024
yogi

महिलाओं के कार्यस्थल की नियमित सुरक्षा ऑडिट के निर्देश

August 30, 2024
Yogi suddenly reached Banke Bihari temple, kept looking at the image of Thakur ji.

अचानक बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे योगी, ठाकुर जी की छवि को निहारते रहे

August 30, 2024
Task force formed for women employees in KGMU

केजीएमयू में महिला कर्मियों के लिए बनी टास्क फोर्स

August 30, 2024
If we divide we will be cut off, if we remain united we will be safe: Yogi

बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहे तो सुरक्षित रहेंगे : योगी

August 30, 2024
Air India flight delays are out of control

नोएडा एयरपोर्ट से उड़ान की तैयारी

August 30, 2024
Tuesday, May 13, 2025
Retail
संपर्क
डाउनलोड
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
    • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क
  • ई-पेपर
No Result
View All Result
Welcome To Blitz India Media
No Result
View All Result

मुस्लिम होकर भी गायत्री मंत्र, ऋग्वेद कंठस्थ

by Blitzindiamedia
June 9, 2023
in महिला, महिला-खेल, महिला-हिंसा
0
Gayatri Mantra despite being a Muslim, Rigveda memorized

ब्लिट्ज विशेष

लखनऊ। एक गरीब मुस्लिम परिवार में जन्मीं गजाला को गायत्री मंत्र से लेकर ऋग्वेद तक के मंत्र कंठस्थ हैं। संस्कृत की पढ़ाई करते हुए उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी में 5 गोल्ड मेडल जीते। अब संस्कृत में ही वह रिसर्च कर रही हैं। उन्होंने 3 बार नेट की परीक्षा दी और हर बार सफल रहीं लेकिन उनकी यह राह इतनी आसान नहीं थी।

दिहाड़ी मजदूरी कर 5 बच्चों को पढ़ाने का सपना देखने वाले पिता को कैंसर ने छीन लिया। गजाला की पढ़ाई न रुके, इसके लिए भाई-बहनों ने अपनी पढ़ाई छोड़ काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान लगातार मुसीबतें सामने आती रहीं, लेकिन गजाला ने हार नहीं मानी। उनकी यह कहानी रुलाएगी भी और हिम्मत भी देगी। बकौल गजाला लखनऊ में निशातगंज के सरकारी स्कूल से मेरी पढ़ाई शुरू हुई। जहां चौथी क्लास में मीना मैम की मदद से संस्कृत पढ़नी, समझनी शुरू की। फिर छठी से 12वीं तक की पढ़ाई के लिए लखनऊ के ही आर्य कन्या इंटर कॉलेज, बादशाह नगर में दाखिला ले लिया। वहां अर्चना मैम ने संस्कृत पढ़ाने के साथ वेदों और शास्त्रों के बारे में भी बताया। जिसके बाद पता चला कि जो बातें वेदों में कही गई हैं, वही इस्लाम में भी हैं।
Gayatri Mantra despite being a Muslim, Rigveda memorized
पापा को हुआ कैंसर तो मम्मी दूसरों के घरों में करने लगीं झाड़ू-पोंछा
पापा घरों की रंगाई-पुताई का काम करते थे। उनका ख्वाब था कि बच्चे पढ़-लिखकर कुछ बनें। परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही अच्छी नहीं थी, लेकिन पढ़ाई किसी तरह चल रही थी। पापा की तबीयत थोड़ी खराब होने पर डॉक्टर ने उनकी जांच करवाई। रिपोर्ट आई तो पता चला उन्हें कैंसर है।
हम सबने सुना था कि जिसे कैंसर होता है वह बच नहीं पाता। मैं तुरंत इस ख्याल से डर गई कि क्या अब पापा नहीं रहेंगे। मैंने तुरंत अल्लाह से दुआ की कि ऐसा न हो। एक पल में जिंदगी बदल गई थी। घर में हर शख्स गम में डूबा था। अम्मी इतना परेशान रहने लगीं कि एक बार बेहोश होकर गिर गईंं। उनका ब्लड प्रेशर बहुत हाई रहने लगा और वह डिप्रेशन में चली गईंं। वह जानती थीं कि पापा नहीं रहे तो जिंदगी मुश्किल हो जाएगी।

YOU MAY ALSO LIKE

एक ओवर में 39 रन बने, टूटा वर्ल्ड रिकॉर्ड

तीनों खान अभिनीत फिल्म का निर्देशन व निर्माण करना चाहूंगी : कंगना रनौत

उधर, पापा की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई। कई सालों में जो थोड़े पैसे पाई-पाई कर मम्मी-पापा ने जोड़े थे, सारे खर्च हो गए। तब मम्मी ने जिंदगी में पहली बार काम करना शुरू किया। वह घर की जिम्मेदारियां उठातीं। पापा का ख्याल रखतीं और हम बच्चों को संभालतीं। फिर बाहर जाकर दूसरों के घरों में झाड़ू-पोंछा और बर्तन साफ करने का काम करतीं। उस दौर में मम्मी ने सिखा दिया कि जीना किसे कहते हैं।

मेरी पढ़ाई के लिए छोटे भाई पढ़ाई छोड़ करने लगे काम
वह बहुत मुश्किल दौर था। हम सारे भाई बहनों की पढ़ाई छूटने के कगार पर आ गई। यह देख पापा के इलाज के दौरान ही बड़ी बहन और मुझसे छोटे दोनों भाइयों ने पढ़ाई छोड़ काम करना शुरू कर दिया, ताकि मैं पढ़ सकूं। बहन एक शोरूम में नौकरी करने लगीं।

10 और 13 साल की उम्र के मेरे दोनों भाई गैरेज जाने लगे। मुश्किलों ने मेरे भाइयों को बचपन में ही बड़ा बना दिया। मुझसे 3 साल छोटा भाई यह सोचकर परेशान था कि अब्बू नहीं रहेंगे, तो घर का क्या होगा। वह खुद को परिवार का सबसे बड़ा और जिम्मेदार बेटा समझने लगा।

जिस दिन मैंने 10वीं पढ़ाई के लिए पैसे नहीं थे तो टीचर्स ने की मदद
मेरी टीचर्स ने मेरा बहुत साथ दिया। मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी गाइडेंस की वजह से ही 2016 में मैंने 12वीं में भी टॉप किया। मुझे सीएम अखिलेश यादव ने मुझे 30 हजार रुपये का चेक दिया। आज मैं अपनी टीचर्स की शुक्रगुजार हूं। वे मदद न करतीं, तो मेरी कहानी वहीं खत्म होने वाली थी।

स्कूल की पढ़ाई तो खत्म हुई, लेकिन हालात नहीं बदले। मेरी जिंदगी के ये 2 साल कैसे बीते, यह मैं बता नहीं सकती। बड़ी मुश्किल से एक वक्त का खाना ही मिल पाता। वह दौर याद कर मैं आज भी नर्वस हो जाती हूं।

जब मैं स्कूल और बाकी सब काम पर चले जाते, तो अक्सर मम्मी की तबीयत खराब हो जाती। जो एक वक्त की रोटी नसीब होती, मम्मी उसे भी नहीं खातीं। तभी पता चला कि उनके पेट में ट्यूमर हो गया है। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सीएम से मिले पैसे उनके इलाज में खर्च हो गए। पापा को खोने के बाद मम्मी की खराब तबीयत ने हम भाई-बहनों को बहुत डरा दिया। बड़ी मुश्किलों से वह ठीक हुईं।

फीस का इंतजाम करने में बीत गई एडमिशन डेट
अब मेरे सामने फिर यह समस्या थी कि ग्रेजुएशन कैसे करूं। मम्मी भी चिंता करतीं। मेरी ललक देख मुझे पढ़ाने के लिए हरसंभव कोशिश में जुटी रहतीं। किसी तरह फीस का इंतजाम हुआ, लेकिन तब तक कॉलेजों में एडमिशन बंद हो चुके थे। किसी तरह मैं लखनऊ के करामात हुसैन मुस्लिम गर्ल्स पीजी कॉलेज पहुंची। वहां भी पढ़ाई चालू थी। मेरी बहुत रिक्वेस्ट के बाद मेरे मार्क्स देखकर मुझे एडमिशन दे दिया गया।

नए कॉलेज में मुझे संस्कृत टीचर डॉ. नगमा सुल्तान मिलीं। उनसे मिलने के बाद मैंने तय लिया कि मैं भी संस्कृत पर रिसर्च करूंगी, प्रोफेसर बनूंगी। वहां बहुत अच्छे टीचर मिले। वहीं मेरा पर्सनैलिटी डेवलपमेंट हुआ। पहले मैं स्टेज पर बोल तक नहीं पाती थी, लेकिन करामात कॉलेज पहुंचने के बाद मैं हर प्रोग्राम में हिस्सा लेने लगी। दूसरे कॉलेजों के इवेंट्स में प्राइज जीते। बहुत प्रोत्साहन मिला। ग्रेजुएशन के दौरान हर साल मैं मेडल जीतती। सबसे ज्यादा नंबर संस्कृत में आते। ग्रेजुएशन में एक बार फिर टॉप किया।

ShareTweetSend

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Our Visitor

113938

POPULAR NEWS

  • India shows way out to UN military observer group

    संरा के सैन्य पर्यवेक्षक समूह को भारत ने दिखाया बाहर का रास्ता

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • प्रोपर्टी पर जिसका 12 साल से कब्जा, वही होगा मालिक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 12 साल से है जमीन पर कब्जा तो वही होगा असली मालिक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • गंगाजल खराब नहीं होता, लेकिन क्यों ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पृथ्वी का आखिरी देश जहां सूरज केवल 40 मिनट के लिए ही डूबता है

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Welcome To Blitz India Media

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation

Navigate Site

  • About
  • Our Team
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
    • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क
  • ई-पेपर

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation