डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता वाले जी20 शिखर सम्मेलन के साझा घोषणापत्र पर आम सहमति कायम होना वैश्विक राजनीति में भारत के बढ़ते मान-सम्मान का प्रमाण तो है ही, यह पूरा आयोजन स्वतंत्रता के अमृत काल में देश की क्षमता के प्रदर्शन का सबसे बड़ा प्रतीक भी है।
इतना बड़ा आयोजन-सम्मेलन, बड़े पैमाने पर नियोजन, संसाधनों के इस्तेमाल और सब कुछ निर्धारित लाइनों पर चलने के लिए जरूरी अनुशासन के सहारे ही संभव हो सका। कुछ ऐसे चेहरे हैं जिन्होंने इसकी सबसे पहले रूपरेखा बनाने से लेकर दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र पर सदस्य देशों को राजी करने तक सबसे अहम योगदान दिया है। इनमें स्वाभाविक रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सबसे प्रमुख हैं, जिनके नेतृत्व और हर एक बारीकी पर करीबी नजर रखने की विशेषता का उल्लेख प्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय शेरपा अमिताभ कांत ने भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अध्यक्षता वाले जी20 शिखर सम्मेलन को आम जनता का जी-20 सम्मेलन बनाने के लिए हर मोर्चे का सबसे आगे रहते हुए नेतृत्व किया। यह उनका ही सुझाव था कि शिखर सम्मेलन के पहले इससे संबंधित आयोजन पचास से अधिक शहरों में आयोजित किए गए। इन बैठकों का इस्तेमाल भारत की संस्कृति, विरासत के प्रदर्शन के लिए किया गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक मसलों पर तमाम देशों के साथ बातचीत का नेतृत्व किया और भारत के रुख और बढ़ती आर्थिक धमक से दुनिया के नेताओं को परिचित कराया। वह पिछले एक साल से लगातार इसके आयोजनों को लेकर सक्रिय रहीं। जिन लोगों को इस सफल आयोजन का सबसे अधिक श्रेय जाएगा, उनमें विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल हैं।
जयशंकर विस्तार से अपनी बात रखते हैं, लेकिन उनके शब्दों के चयन की मिसाल दी जाती है। शिखर सम्मेलन की उपलब्धि को लेकर रूस-यूक्रेन जैसे जटिल मसले पर तमाम देशों को राजी करना हिमालयी काम ही था। अमिताभ कांत ने कहा भी कि उन्हें जब जरूरत हुई है तब विदेश नीति के जटिल मसलों पर जयशंकर की सलाह मिली।
ये हैं सफल आयोजन के सूत्रधार
अमिताभ कांत : बैठकों के आयोजन के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले शेरपा अमिताभ कांत के लिए जी20 का कोई भी ऐसा आयोजन नहीं था जिसमें उन्होंने व्यक्तिगत रूप से रुचि न ली हो। उन्होंने इससे संबंधित हर बैठक को पूरी गंभीरता से लिया। सभी जटिल मामलों पर सहमति कायम करने का काफी कुछ श्रेय कांत को जाएगा। शेरपा बैठकें ही वह मंच थीें जहां ज्यादा से ज्यादा सहमति बनाई गई।
शक्तिकांत दास : आरबीआइ प्रमुख शक्तिकांत दास ने वित्त मंत्री सीतारमण के साथ अहम वित्तीय मसलों पर भारत के पक्ष को जोरदार ढंग से रखा। भारत ने वित्तीय मोर्चे पर हाल के वर्षों में जो प्रगति की है, उसके प्रति देशों को आकर्षित करना दास की प्रमुख उपलब्धि है। क्रिप्टो करेंसी के मसले पर भी उनके नेतृत्व में हुई बात खासी अहम रही।
पीके मिश्र : प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्र एक और चेहरा हैं, जो इस सफल आयोजन के सूत्रधार हैं। आयोजन की तैयारियों की निगरानी में उनकी प्रमुख भूमिका थी। पूरे आयोजन की योजना बनाने वाले समूह का वह हिस्सा रहे। पीके मिश्र ने हर पल इसकी निगरानी की।
हर्षवर्धन श्रृंगला : जब भी जी20 सम्मेलन की सफलता की चर्चा होगी तो पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का नाम भी लिया जाएगा। श्रृंगला जी20 के मुख्य समन्वयक हैं। वह भारत की जी20 टीम के सबसे अहम सदस्यों में से एक हैं। उन्होंने विदेश सचिव के रूप में अपने अनुभव को बातचीत में भरपूर इस्तेमाल किया। वह ऐसे अफसर के रूप में जाने जाते हैं जो पर्दे के पीछे रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
अजीत डोभाल : राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आखिरी समय में जबरदस्त शॉट खेला। वह यूक्रेन के मुद्दे पर न सिर्फ चीन और रूस को समझाने में सफल हुए बल्कि जी7 देशों को भी समझाया और अपनी कोशिश में वो कामयाब भी हुए।
मुक्तेश परदेसी : मुक्तेश परदेशी का भी जिक्र करना जरूरी होगा। मैक्सिको में भारत के राजदूत रह चुके परदेशी ने जी20 के आपरेशन ग्रुप की अहम डेस्क की जिम्मेदारी संभाली।
जी20 सचिवालय को मिले पूरे अंक
जिन अन्य लोगों ने इस आयोजन की सफलता में सबसे बड़ा योगदान दिया, उनमें अतिरिक्त सचिव जी20 आइएफएस अफसर अभय ठाकुर का भी नाम है। यह उस थिंक टैंक के प्रमुख सदस्य हैं जिसने बातचीत के लिए एजेंडे पर किस तरह आगे बढ़ना है, यह तय किया। जी20 के यादगार आयोजन में कुछ ऐसे स्पष्ट नाम हैं जिन्हें श्रेय दिया जाना चाहिए। इनमें जी20 सचिवालय के संयुक्त सचिव नागराज नायडू काकनुर, संयुक्त सचिव आशीष कुमार सिन्हा, संयुक्त सचिव एनम गंभीर, भावना सक्सेना, स्मृति, एल रमेश बाबू और रोहित रतीश शामिल हैं, जिन्होंने छह-सात अफसरों की टीम का नेतृत्व करते हुए बड़ा काम कर दिखाया।