ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। ईस्टर्न फ्री-वे की लाइफ बढ़ाने और उस पर सफर आसान बनाने के लिए बीएमसी ‘माइक्रो सरफेसिंग’ तकनीक इस्तेमाल कर रही है। फ्री-वे के दोनों तरफ मजबूत डामर कोटिंग की जा रही है।
मुंबई आने वाली साइड पर 9 किमी तक ‘माइक्रो सरफेसिंग’ पूरी हो चुकी है, जबकि दूसरी तरफ लगभग 1.5 किमी का काम पूरा हो चुका है। इस तकनीक के प्रयोग के बाद मात्र दो घंटे में यातायात बहाल कर दिया जाता है। ‘माइक्रो सरफेसिंग’ के साथ-साथ फ्री-वे के डिवाइडरों और दीवारों की पेंटिंग भी की जा रही है। एमएमआरडीए ने फ्री-वे की देखरेख का जिम्मा बीएमसी को सौंपा है। इसी के तहत इसे मजबूत और टिकाऊ बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं। हालांकि, मुंबई में ‘माइक्रो सरफेसिंग’ तकनीक का उपयोग पहली बार किया जा रहा है। बीएमसी के उपायुक्त (इन्फ्रास्ट्रक्चर) उल्हास महाले ने कहा कि दिवाली के बाद योजना बनाई है कि ईस्टर्न फ्री-वे पर चरणबद्ध तरीके से रात 12:00 बजे से सुबह 4:00 बजे के बीच भक्ति पार्क से पी. डिमेलो मार्ग यानी मुंबई की ओर आने वाले हिस्से की माइक्रो सरफेसिंग की जाएगी।
यह तकनीक सड़क की लाइफ को करीब 4 से 5 साल तक बढ़ाने में मदद करेगी।
की गई वॉटर प्रूफिंग, ग्राउटिंग, प्लगिंग
ईस्टर्न फ्री-वे पर चेंबूर और पी. डिमेलो रोड की ओर आने वाली टनल के अंदर पानी के रिसाव की समस्या के कारण वाहन चालकों को असुविधा हुई। इस लीकेज को रोकने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें वॉटर प्रूफिंग, ग्राउटिंग, प्लगिंग जैसे काम शामिल थे।
क्या है ‘माइक्रो सरफेसिंग’ तकनीक
एक बीएमसी अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर सड़क के डामर की पूरी (लगभग 6 इंच) परत हटाकर एक नई परत बिछाई जाती है। जबकि, ‘माइक्रो सरफेसिंग’ में डामर सड़क पर लगभग 6 से 8 मिलीमीटर की कोटिंग की जाती है। इस तकनीक से एक दिन में औसतन 1 किमी सड़क की मरम्मत आसानी से की जा सकती है। इसमें मशीनों के जरिए बाइंडर, सीमेंट, इमल्शन, पानी, बजरी आदि का उपयुक्त मिश्रण बनाकर सड़क पर डाला जाता है। इस प्रॉसेस के महज दो घंटे में यातायात बहाल किया जा सकता है।