संदीप सक्सेना
जम्मू। अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदलाव की बयार के बीच पहली बार कश्मीर घाटी में महिला मतदाताओं की संख्या अधिक हो गई है। नई व्यवस्था में पहली बार होने जा रहे स्थानीय निकाय चुनाव के तहत शहरी सरकार चुनने में महिलाएं आगे रहेंगी। श्रीनगर नगर निगम में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से कम है, लेकिन सभी 10 जिलों को मिलाकर महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक हो गई है। जम्मू संभाग के किश्तवाड़ व पुंछ में भी महिला मतदाता अधिक हैं।
पांच साल बाद स्थानीय निकाय चुनाव के लिए 2.57 लाख मतदाता बढ़े हैं। घाटी में शांतिपूर्ण माहौल, पत्थरबाजी तथा आतंकी घटनाओं के थमने, अलगाववादियों की बंद की कॉल का सिलसिला थमने से महिलाओं में भय व दहशत का वातावरण खत्म हुआ है। इस वजह से उन्होंने मतदाता बनने में अधिक रुचि दिखाई है।
कश्मीर घाटी के श्रीनगर, कुपवाड़ा, बांदीपोरा, बारामुला, गांदरबल, बडगाम, पुलवामा, शोपियां, कुलगाम, अनंतनाग में महिला मतदाताओं की संख्या 2023 की मतदाता सूची के अनुसार 5,85,169 है, जबकि पुरुष मतदाता 5,82,832 हैं
श्रीनगर नगर निगम में 3,75,784 पुरुष व 3,70,927 महिलाएं हैं। किश्तवाड़ में 4946 पुरुष व 5600 महिलाएं तथा पुंछ में 6806 पुरुष व 6839 महिलाएं हैं। सूत्रों के अनुसार निकाय चुनाव के लिए मतदाता पुनरीक्षण के बाद 19,14,383 महिला व पुरुष मतदाता बने हैं। 2018 के चुनाव में इनकी संख्या 16,57,895 थी यानी 2,56,488 मतदाता बढ़े हैं। कश्मीर पर पैनी दृष्टि रखने वाले प्रो. हरिओम का कहना है कि यह बदलाव आश्चर्यजनक है।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद घाटी का माहौल पिछले चार साल में काफी शांतिपूर्ण रहा है। अब लोग खुद की जिंदगी जी रहे हैं। किसी प्रकार का दबाव नहीं है। न तो आतंकियों का और न ही अलगाववादियों का। लोग खुद फैसले लेने को स्वतंत्र हैं। इसी वजह से महिलाओं की लोकतंत्र में भागीदारी देखने को मिल रही है।