ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक हालिया फैसले में कहा है कि किसी मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ एक समान सुबूत हों तो अदालतें उनके बीच भेदभाव नहीं कर सकती। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कहा कि जब किसी अपराध में आरोपियों के खिलाफ एक समान सुबूत हों तो अदालत किसी एक को दोषी और बाकी को बरी नहीं कर सकती।
शीर्ष अदालत ने डकैती और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 4 लोगों को बरी कर दिया। चारों को 10 साल की सजा हुई थी। इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने 7 आरोपियों को दोषी ठहराया था लेकिन बाद में उनकी सजा उम्रकैद से घटाकर 10 साल कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उन दो आरोपियों की सजा को भी रद्द कर दिया जिन्होंने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं की थी।
मामला नवंबर 2003 का
इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से 2 पुलिस कॉन्स्टेबल गवाह थे। उन्होंने दावा किया था कि अहमदाबाद में मौके पर 1000 से 1500 लोगों की भीड़ जमा थी। उनकी ही गवाही और एक समान सुबूतों के आधार पर इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मार्च 2006 और हाई कोर्ट ने फरवरी 2016 में फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने 7 आरोपियों को दोषी ठहराया गया था।
अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाई कोर्ट से दोषी ठहराए गए तीन दोषियों को बरी कर दिया था जबकि मई 2018 में एक दोषी अमजद खान नसीर खान पठान की अपील को खारिज कर दिया था। बाद में जावेद शौकत अली कुरैशी नाम के एक और दोषी ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। दो अन्य दोषी महबूब खान अल्लारखा और सैद खान ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी।
कुरैशी की अपील पर ही फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ कुरैशी को बरी किया, बल्कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करने वाले दो अन्य आरोपियों महबूब खान अल्लारखा और सैद खाना को बरी कर दिया। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2018 के अपने उस फैसले को रद करते हुए अमजद खान, नसीर खान पठान को भी बरी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जब इस मामले में एक ही तरह के या एक समान सुबूत हैं और 2 चश्मदीदों ने भी आरोपियों की एक समान भूमिका की बात कही है, तब अदालत किसी एक आरोपी को दोषी और बाकी को बरी नहीं कर सकती। दोनों आरोपियों के संदर्भ में समानता का सिद्धांत लागू होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस एक आरोपी की पहले अपील खारिज हुई थी, उसके खिलाफ भी उसी तरह के सुबूत थे जो बाकी तीन आरोपियों के थे और जिन्हें शीर्ष अदालत ने बरी कर दिया था। बेंच ने कहा कि अगर उसे (अमजद खान, नसीर खान पठान) को राहत नहीं दी गई तो ये ‘अन्याय’ करने जैसा होगा।