ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ऑनलाइन खरीदारी करने वाले ग्राहकों की परेशानी का निदान निकालते हुए उपभोक्ता अदालत ने विशेष निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कंपनी को आदेश दिया कि वह ग्राहकों के सामान को पिक-अप (सामान वापस) करते समय रसीद देने का प्रावधान जल्द से जल्द शुरु करें।
पूर्वी दिल्ली स्थित उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (अदालत) के अध्यक्ष एसएस मल्होत्रा, सदस्य रश्मि बंसल एवं सदस्य रवि कुमार ने अमेजॉन को यह आदेश भी दिया कि वह अपनी वेबसाइट साइट पर ग्राहकों की शिकायत सुनने वाले अधिकारियों का नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करे। शिकायतों के निपटारे का विवरण भी अपलोड हो इसके अलावा वेबसाइट पर ही शिकायतों के निपटारे और इससे संबंधित प्रमाण भी अपलोड किया जाए। उपभोक्ता अदालत ने ऑनलाइन कंपनी के गैरजिम्मेदाराना रवैये पर नाराजगी भी जाहिर की। अदालत ने कहा कि ग्राहक भरोसा कर कंपनी से सामान मंगाता है, लेकिन सामान खराब निकलने पर उसे लौटाने की प्रक्रिया ग्राहक के लिए बेहद कष्टदायर हो जाती है।
प्रत्येक ग्राहक बहुमूल्य
उपभोक्ता फोरम ने कहा, प्रत्येक ग्राहक बहुमूल्य होना चाहिए क्योंकि उनकी वजह से ही कंपनी का कारोबार चल रहा है।
सात फीसदी ब्याज लगेगा
अदालत ने कंपनी को कहा कि वह शिकायतकर्ता अनिल कुमार को सेवा में खामी के एवज में 35 हजार रुपये का मुआवजा दे। इस रकम पर कंपनी को सात फीसदी का ब्याज देने के निर्देश भी दिए गए हैं। वहीं मुकदमा खर्च के तौर पर प्रतिवादी कंपनी को वादी ग्राहक को दस हजार रुपये अतिरिक्त देने होंगे। 30 दिन के भीतर ग्राहक को बतौर हर्जाने का भुगतान करें।
अपने ही रुपये पाने के लिए लगाने पड़े कई चक्कर
शिकायतकर्ता अनिल कुमार ने अक्तूबर 2021 में अमेजॉन कंपनी से 77 हजार 990 रुपये में एक लैपटॉप खरीदा था। लैपटॉप की डिलीवरी के बाद ग्राहक को पता चला कि इसमें कई कमियां हैं। ग्राहक ने 29 अक्तूबर 2021 को शर्तों के अनुसार लैपटॉप वापस करने के लिए अमेजॉन को ई-मेल किया। कंपनी ने नौ नवंबर 2021 को लैपटॉप ग्राहक के घर से पिकअप (वापस लिया) किया, लेकिन इसके एवज में ग्राहक को कोई रसीद नहीं दी गई। ग्राहक को अपना ही पैसा वापस पाने के लिए पुलिस से लेकर अदालत तक के चक्क र लगाने पड़े। कंपनी की तरफ से उपभोक्ता को एक साल पांच महीने बाद छह अप्रैल 2023 को 78 हजार रुपये की रकम लौटाई गई। इस बीच ग्राहक को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक पीड़ा से गुजरना पड़ा।