ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। मुंबई ऐसा शहर है जहां मेहनत करने वालों की कमी नहीं है। हर काम करने के लिए लोग तैयार रहते हैं। बस इस चाह में कि यह शहर उन्हें अपना ले। यहां लोग हर हालात से लड़ना और चलते रहना सीख ही लेते हैं। ऐसी ही एक जगह सांताक्रूज में है। जहां ऐसे एक से बढ़कर एक लोग देखने को मिलेंगे, जो अपने आप में एक मिसाल हैं। हम एक ऐसे कैफे की बात कर रहे हैं, जिसे दिव्यांग लोग चलाते हैं। इसका नाम कैफे अर्पण है। यह कैफे और यहां काम करने वाले सभी लोग अपने आप में एक मिसाल हैं।
काम पर रखने से पहले दी जाती है ट्रेनिंग
यह कैफे यश चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा चलाया जाता है। ट्रस्ट की फाउंडर सुषमा नगरकर ने बताया कि उनका एक ही उद्देश्य है कि हर बच्चा अपने जीवन में कुछ करे, कुछ बने। यह बिलकुल भी मायने नहीं रखता कि वो शारीरिक रूप से विकलांग है। हमारे लिए हर बच्चा किसी न किसी काम के योग्य होता है। हम इस कैफे में बच्चों या बड़ों को काम पर रखने से पहले उन्हें अच्छे से तैयार करते हैं। उन्हें खाना बनाना, रिसेप्शन, जूस बनाना, देश विदेश के भोजन बनाना सिखाया जाता है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद योग्यता अनुसार उन्हें काम दिया जाता है और उसके बदले उन्हें पैसे भी मिलते हैं।
चित्र के जरिए सिखाया जाता है काम
यहां हर काम को सिखाने का अनोखा अंदाज है। सब्जी काटने से लेकर जूस या पेस्ट्री हर चीज बनाने की शिक्षा चित्र के सहारे दी जाती है ताकि इन्हें सीखने में आसानी हो। दीवारों पर रेसिपी और बनाने के तरीकों का चित्र लगाया हुआ है, जिसकी सहायता से हर बच्चा काम कर सके। काम के प्रदर्शन के हिसाब से प्रमोशन भी मिलता है।