दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। राष्ट्रीय महत्व के प्रोजेक्ट के लिए फंड्स की कमी की दुहाई देने वाली दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। इतना ही नहीं कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से तीन वित्तीय वर्षों में विज्ञापनों पर हुए खर्च का ब्योरा तक मांग लिया। दरअसल, यह मामला रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के निर्माण से जुड़ा है। आप सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ही इसके निर्माण के लिए फंड्स मुहैया कराने में असमर्थता जता दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर आप सरकार को ही घेर लिया।
केजरीवाल सरकार ने धन की कमी का दिया था हवाला
बता दें कि दिल्ली में आरआरटीएस के निर्माण से दिल्ली का राजस्थान और हरियाणा से सड़क मार्ग से संपर्क आसान हो जाएगा। हालांकि, इसके लिए दिल्ली सरकार ने फंड्स मुहैया नहीं कराए। इस पर जस्टिस एसके कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने आप सरकार को निर्देश दिया कि वह दो हफ्ते के अंदर फंड्स की गणना की जानकारी के साथ एफिडेविट मुहैया कराएं। दिल्ली सरकार के वकील ने दो जजों की बेंच को बताया कि धन की कमी है और वित्तीय मदद करने में सरकार असमर्थ है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘आप चाहते हैं कि हम जानें कि आपने कौन सी राशि कहां खर्च की? यहां हम जानना चाहते हैं कि आपने विज्ञापन पर कितना खर्च किया। क्या आप विज्ञापन खर्च को प्रोजेक्ट के लिए दिए जाने का आदेश चाहते हैं। पीठ ने कहा, ‘‘ दिल्ली सरकार ने ‘कॉमन प्रोजेक्ट’ के लिए कोष देने में असमर्थता जताई है। चूंकि इस परियोजना में धन की कमी एक बाधा है। इसलिए हम दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से एक हलफनामा दाखिल करने को कहते हैं, जिसमें विज्ञापन के लिए खर्च किए गए धन का ब्योरा दिया जाए क्योंकि यह परियोजना राष्ट्रीय महत्व की है। इसमें पिछले वित्तीय वर्षों का ब्योरा दिया जाए।’’
यह है मामला
यह मामला आरआरटीएस के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ सेक्शन से जुड़ा है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 30 हजार, 274 करोड़ रुपए है। इसमें से दिल्ली सरकार को 1 हजार 180 करोड़ रुपए का योगदान करना है। 765 करोड़ रुपए वो दे चुकी, 415 करोड़ रुपए का भुगतान बाकी है।