ब्लिट्ज ब्यूरो
लंदन। डायमंड का प्रोडक्शन और वितरण करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी डी बीयर्स ने कच्चे हीरे की सप्लाई रोक दी है। इसकी सबसे तगड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी रूस की अलरोसा ने दो महीने पहले से बिक्री बंद कर रखी है। ये फैसले अंतरराष्ट्रीय बाजार में हीरों की कीमतों में गिरावट थामने की रणनीति का हिस्सा हैं। इधर भारत में दुनिया के सबसे बड़े डायमंड कटिंग और ट्रेडिंग सेंटर सूरत ने खुद ही हीरों के आयात पर रोक लगा रखी है। इस साल अब तक थोक में तराशे हुए पॉलिश्ड डायमंड के दाम करीब 20 प्रतिशत कम हो गए हैं। कच्चे हीरों की कीमतों में तो 35 फीसदी तक गिरावट आ चुकी है। गर्मियों के अंत और शरद ऋतु की शुरुआत में सबसे तेज गिरावट देखी जा रही है। कंपनियां बाजार में रिकवरी चाहती हैं
लग्जरी कंपनियों की वैल्यू 8.33 लाख करोड़ घटी
हीरे के दाम घटने से एलवीएमएच, मोएट हेनेसी, लुई, वितां और क्रिश्चियन डायर से लेकर बुलगारी तक 75 लक्जरी कंपनियों के शेयरों की वैल्यू अप्रैल से अब तक 8.33 लाख करोड़ रुपए घट चुकी है।
सप्लाई कम होने का दिखा असर
पिछले सप्ताह छोटे टेंडर से कच्चे हीरे की बिक्री और नीलामी में कीमतें 5-10प्रतिशत बढ़ी थी। इसीलिए बड़ी डायमंड माइनिंग कंपनियां कीमतें बढ़ाने के लिए सप्लाई रोकने का तरीका अपना रही हैं।
बाजार चढ़ने की उम्मीद बढ़ी
स्पेशलिस्ट डायमंड एडवाइजरी फर्म जेमडैक्स के पार्टनर अनीश अग्रवाल ने कहा, ‘डायमंड इंडस्ट्री ने सही कदम उठाया है। इससे इंडस्ट्री में इस बात की उम्मीद बढ़ी है कि हालात जल्द सुधरेंगे।’
कम हो रहीं कीमतें
– जिम्निस्की ग्लोबल रफ डायमंड इंडेक्स के अनुसार, कीमतें एक साल के निचले स्तर पर आ गई हैं।
– सीएनएन के मुताबिक विश्लेषक इस मंदी की वजह गहनों की बिक्री में गिरावट को मान रहे हैं।
– महामारी के बाद लोग मौज-मस्ती और ट्रैवल पर गहनों के मुकाबले ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं।