ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत पर फैसला लेने के लिए सख्त मानदंड की आवश्यकता होती है, खासकर तब जब जमानत मांगने वाला व्यक्ति पुलिस अधिकारी हो और उस पर हिरासत में मौत का आरोप हो। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस पीवी संजय कुमार की पीठ ने कहा है कि इस तरह का सख्त दृष्टिकोण इसलिए जरूरी है क्योंकि एक पुलिसकर्मी एक सामान्य व्यक्ति की तुलना में अधिक प्रभाव डाल सकता है।
पीठ ने कहा, हिरासत में मौत से जुड़े मामले में पुलिस बल के एक सदस्य के समग्र प्रभाव को ध्यान में रखते हुए जमानत देने के सवाल पर सख्त रुख अपनाया जाना चाहिए। क्योंकि ये गंभीर अपराध के मामले हैं। कोर्ट ने 2021 में हिरासत में मौत के एक मामले में शामिल होने के आरोपी पुलिस कांस्टेबल अजय कुमार यादव को पहले दी गई जमानत को रद कर दिया। पीठ ने कहा, यह एक तथ्य है कि सामान्य परिस्थितियों में हमें किसी आरोपी को जमानत देने के आदेश को अमान्य करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। लेकिन यह मानदंड हिरासत में मौत के मामले में लागू नहीं होता, जहां पुलिस अधिकारियों को आरोपित किया गया हो। ऐसे कथित अपराध गंभीर और गंभीर प्रकृति के होते हैं।
फरवरी 2021 का मामला
इस मामले में 19 पुलिस अधिकारियों पर फरवरी 2021 में लूटपाट करने के संदेह में गिरफ्तार एक व्यक्ति की मौत में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। आरोपियों में एक पुलिस कांस्टेबल भी शामिल था जो उस दिन स्थानापन्न चालक के रूप में काम कर रहा था, जब मृतक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
आपराधिक मामले में आरोपपत्र दायर होने के बाद 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पुलिस कांस्टेबल को जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी थी। इस फैसले को मृत व्यक्ति के भाई (शिकायतर्ता) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत को सूचित किया गया कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से की जा रही है, जिसने कांस्टेबल को दी गई जमानत रद करने की अपीलकर्ता की याचिका का समर्थन किया था।
इस आधार पर दी थी जमानत
हाईकोर्ट ने कांस्टेबल को इस आधार पर जमानत दे दी थी कि वह उस समय केवल अस्थायी स्थानापन्न चालक के रूप में काम कर रहा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री के अनुसार उसकी भूमिका सिर्फ पुलिस वाहन के चालक होने तक ही सीमित नहीं थी।