ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस पर जल्द फैसला होना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ऐसे मामलों के लिए हाईकोर्ट में एक स्पेशल बेंच गठित की जाए। साथ ही निचली अदालतें सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की निगरानी के लिए स्वत: संज्ञान लें।
सांसदों-विधायकों के खिलाफ क्रिमिनल केस पर जल्द फैसले संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाईकोर्ट और निचली अदालतों को कई निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के केस में निचली अदालतों को एक जैसा दिशा-निर्देश देना मुश्किल होगा। हाईकोर्ट विशेष पीठ का गठन करें, जिसकी अध्यक्षता या तो चीफ जस्टिस करें या चीफ जस्टिस की तरफ से नामित पीठ द्वारा की जाए। हाईकोर्ट क्रिमिनल केस में सांसदों के खिलाफ केसों की स्थिति पर रिपोर्ट के लिए विशेष निचली अदालतों को बुला सकते हैं। ट्रायल कोर्ट केवल दुर्लभ कारणों को छोड़कर संसद सदस्यों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ मामलों की सुनवाई स्थगित नहीं करें। प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश कानून निर्माताओं की सुनवाई करने वाली नामित विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा, तकनीकी सुविधा सुनिश्चित करें।
सीजेआई बोले, सुप्रीम कोर्ट तारीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बनेगी
चंद्रचूड़ कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर पहले ही चिंता जता चुके हैं। उन्होंने 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताते हुए वकीलों से कहा था कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालत बन जाए। उन्होंने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो यह अदालत की अच्छी छवि नहीं दिखाते।
– ट्रायल कोर्ट में दुर्लभ मामलों को छोड़कर सुनवाई स्थगित न हो
साथ ही सीजेआई ने वकीलों से अपील की, जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें। दरअसल सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा ए़डजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सांसदों पर दर्ज क्रिमिनल केस को लेकर सितंबर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया है कि देश के कुल 763 सांसदों में से 306 के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
इनमें से 194 सांसदों के खिलाफ हत्या और महिलाओं पर अत्याचार के गंभीर केस हैं। एडीआर ने यह रिपोर्ट लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों की तरफ से दायर हलफनामे के हवाले से जारी की है।
बिहार के सबसे ज्यादा 41 सांसदों के खिलाफ केस दर्ज
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि लक्षद्वीप से एक सांसद, केरल के 29 सांसदों में से 23, बिहार के 56 सांसदों में से 41, महाराष्ट्र के 65 सांसदों में से 37, तेलंगाना के 24 सांसदों में से 13 और दिल्ली के 10 सांसदों में से 5 के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज हैं। यूपी के 37 सांसदों के खिलाफ गंभीर मामले दर्ज हैं।