ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। नमिता पटजोशी की कहानी संघर्षों से भरी हुई है। उन्होंने मुश्किलों का डटकर सामना किया। फिर इन्हीं में से सफलता का रास्ता बनाया। वह ओडिशा की रहने वाली हैं। नमिता पटजोशी की 1987 में शादी हुई थी। पति ओडिशा के कोरापुट जिले में राजस्व विभाग में क्लर्क थे। मासिक वेतन 800 रुपये था। इससे सात सदस्यों का परिवार चलाना मुश्किल हो गया था। 1997 में नमिता ने जेवर गिरवी रखकर एक गाय खरीदी। फिर डेयरी बिजनेस शुरू किया। उनकी मेहनत से यह कारोबार खूब फला-फूला। आज यह 1.5 करोड़ का व्यवसाय बन चुका है।
पिता से तोहफे में मिली गाय हुई गायब
अपने बड़े परिवार के लिए दो लीटर दूध खरीदने की खातिर नमिता को रोजाना 20 रुपये खर्च करने पड़ते थे। 1995 में उनके पिता ने उन्हें एक जर्सी गाय उपहार में दी। यह रोजाना चार लीटर दूध देती थी। वह घरेलू खर्च में कटौती और अपने बच्चों को स्वस्थ पोषण देने के लिए गाय पालने के महत्व को समझती थीं। लेकिन, दुर्भाग्य से एक साल बाद ही यह गाय गायब हो गई।
– 18 आदिवासी महिलाओं सहित 25 को दिया रोजगार
वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए दूध बेचना एक अच्छा विकल्प
नमिता पटजोशी ने 1997 में 5,400 रुपये में एक क्रॉस-ब्रीड जर्सी गाय खरीदने के लिए अपनी सोने की चेन गिरवी रख दी। यह गाय हर दिन छह लीटर दूध देती थी। वह दो लीटर घर के लिए रखती थीं। बाकी को 10 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेच देती थीं। उन्हें धीरे-धीरे एहसास हुआ कि परिवार की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए दूध बेचना एक अच्छा विकल्प है।
कई लोगों को रोजगार दिया
कमाई बढ़ने के साथ नमिता ने धीरे-धीरे और अधिक गायें खरीदना शुरू किया। 2015-16 के आसपास उन्होंने 50 फीसदी सब्सिडी के साथ लोन लिया। आज नमिता के पास जर्सी, सिंधी और होल्स्टीन नस्ल की 200 गायें हैं। उन्होंने 18 आदिवासी महिलाओं सहित 25 लोगों को रोजगार दिया हुआ है।
ओडिशा के कोरापुट में नमिता के कंचन डेयरी फार्म में 600 लीटर दूध का रोजाना उत्पादन होता है। इसकी बिक्री 65 रुपये प्रति लीटर (39,000 रुपये रोजाना) पर होती है। अतिरिक्त दूध होने पर वह पनीर, दही और घी भी बेचती हैं। इससे उनका वार्षिक राजस्व 1.5 करोड़ रुपये हो जाता है।