ब्लिट्ज ब्यूरो
चंडीगढ़ । कभी-कभार अंदाजा लगाने में हुई जरा सी चूक से भी हादसे हो जाते हैं लेकिन उसे लापरवाही से गाड़ी चलाना या रैश ड्राइविंग नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 22 साल पहले सीआरपीएफ से बर्खास्त हुए ड्राइवर को बहाल कर दिया।
1991 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए वीरेंद्र कुमार 10 साल तक ही नौकरी कर पाए थे कि उन्हें बर्खास्त होना पड़ा था। इसके खिलाफ लंबी कानूनी लड़ाई में आखिर उन्हें बड़ी राहत मिली है।
24 अप्रैल 1999 का दिन। मेघालय की राजधानी शिलांग से करीब 35 किलोमीटर दूरी पर नेशनल हाईवे संख्या 40 पर सीआरपीएफ का एक ट्रक हादसे का शिकार हो गया। यू-टर्न पर ट्रक पलट गया था। उसे वीरेंद्र कुमार चला रहे थे। उसमें कुछ और जवान सवार थे और ट्रक सामान से भरा था। हादसे में 5 जवान जख्मी हुए थे। ट्रक बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ। इसके बाद सीआरपीएफ ने जांच बैठाई और जनवरी 2001 में कुमार को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। इसके खिलाफ वह अदालत पहुंचे।
हरियाणा के महेंद्रगढ़ की एक अदालत ने उसी साल उन्हें बहाल करने का आदेश दिया लेकिन केंद्र सरकार ने निचली अदालत को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दे दी। हाई कोर्ट ने 2001 के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए केंद्र की अपील को खारिज कर दी।