डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बढ़ते साइबर अपराधों के मद्देनजर देशों के बीच साझा समाधान रणनीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया में अगर कहीं साइबर हमला होता है तो ऐसा समाधान तलाशा जाना चाहिए जो ‘कॉमन फॉर ऑल यानी सबके लिए हो। उन्होंने साइबर चुनौतियों पर दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस के समापन पर यह बात कही।
हरियाणा के गुरुग्राम में एनएफटी, एआई और मेटावर्स के युग में अपराध और सुरक्षा थीम पर जी-20 सम्मेलन के समापन पर वैष्णव ने कहा कि आने वाले दिनों में एआई जैसी तकनीक से जटिलता बढ़ने वाली है। हर दिन नई तकनीक उभरकर सामने आती है। उन्होंने इस दिशा में विचार-विमर्श का हवाला देते हुए कहा कि अभी एआई बेसिक रिसर्च करने में भले ही सक्षम न हो लेकिन भविष्य में इस तकनीक से वैसा रिसर्च संभव होगा जो दुनिया के सबसे प्रखर दिमाग कर सकते हैं।
समान संस्था और टूल की वकालत
वैष्णव ने उभरती तकनीक के मद्देनजर कई स्तर पर रणनीति बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर, संगठन के स्तर और निजी स्तर पर रणनीति बनाई जानी चाहिए, जिससे भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सके। केंद्रीय मंत्री ने दुनिया के देशों के बीच सूचना सहयोग के साथ साइबर सुरक्षा के लिए समान संस्थाएं बनाने और ऐसे टूल विकसित करने को कहा जो सभी देशों के काम आ सकें। वैष्णव ने बताया कि साइबर फ्रॉड के लिए बनाए गए लाखों की संख्या में खातों को संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से बंद कराया गया।
वैष्णव ने कहा कि देश में डिजिटल खाई को पाटने के लिए बड़े स्तर पर कवायद हो रही है। बड़े शहरों से लेकर रिमोट इलाकों तक बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंचाने पर लगातार काम हो रहा है।
भारत चुनौतियों से निपटने को तैयार
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र ने कहा कि भारत सभी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने एआई के अपराध की जांच और विश्लेषण में बेहतर उपयोग का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि हमें सीमा से परे उभर रही चुनौतियों पर सतर्कता से काम करने की जरूरत है।
साझा रणनीति पर सहमति
जी-20 सम्मेलन में प्रतिनिधियों द्वारा साइबर अपराध से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए व्यापक विचार-विमर्श किया गया। सदस्यों ने इंटरनेट गवर्नेंस, डीपीआई सुरक्षित करने, मेटावर्स और डिजिटल स्वामित्व पर चर्चा के साथ साइबर अपराधों के खतरे से निपटने और साइबर स्पेस को सुरक्षित करने की रणनीतियों को साझा किया। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्रिप्टो करेंसी, डार्क नेट और आईसीटी के आपराधिक उपयोग की चुनौतियों पर भी रणनीतिक चर्चा हुई और देशों के साथ मिलकर काम करने पर सहमति बनी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, डार्क नेट, क्रिप्टो करेंसी, मनी लॉन्ड्रिंग, बाल शोषण और सूचना साझाकरण पर भी विशेषज्ञों के इनपुट और चुनौतियों पर चर्चा की गई ।