ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अप्रैल-2022 के फैसले की समीक्षा करते हुए कहा कि संविधान पीठ का फैसला कम सदस्य संख्या वाली पीठों पर ‘बाध्यकारी’ होगा। अदालत ने यह टिप्पणी भूमि से संबंधित एक मामले में की जो विशेष रूप से हरियाणा के एक गांव के निवासियों के साझा इस्तेमाल वाली थी।
शीर्ष अदालत ने सात अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में कहा था कि कोई पंचायत उस जमीन के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती जो हरियाणा में भूमि कानून के तहत वास्तविक मालिकों से उनकी अनुमानित सीमा से ज्यादा ली गई है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि पंचायतें केवल उस भूमि का प्रबंधन और नियंत्रण कर सकती हैं जो मालिकों से ली गई हैं और उस पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकतीं। शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के फैसले के खिलाफ अपीलों के एक समूह पर फैसला सुनाया था, जिसने हरियाणा ग्राम सामान्य भूमि (विनियमन) अधिनियम 1961 की धारा 2 (जी) की उप-धारा 6 की वैधता की जांच की थी। शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2022 के फैसले की समीक्षा की अपील करने वाली याचिका पर अपना यह फैसला सुनाया।
एक फैसले में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला 1966 में शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा निर्धारित कानून पर आधारित था। पीठ ने आगे कहा कि समीक्षाधीन निर्णय में अदालत से कम से कम यह समझाने की उम्मीद की जाती है कि 1966 के फैसले पर भरोसा करने में हाईकोर्ट गलत क्यों था। पीठ ने कहा विपरीत दृष्टिकोण रखना भौतिक त्रुटि होगी।
वैवाहिक दुष्कर्म संबंधी याचिका पर जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने नए आपराधिक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपवाद माने जाने को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने ‘ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन एसोसिएशन’ (एआईडीडब्ल्यूए) की याचिका पर नोटिस जारी किया और कहा कि इसे वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाने की मांग करने वाली अन्य याचिकाओं के साथ जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
मतदाता की गोपनीयता से जुड़ी याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका खारिज कर दी। याचिका में मौजूदा मतदान प्रणाली में मतदाता की गोपनीयता के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। अदालत ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है। 26 अप्रैल को ईवीएम हेराफेरी के आरोपों को खारिज कर दिया था।
मतदान आंकड़ों से संबंधी याचिका पर ईसी से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की याचिका पर निर्वाचन आयोग से एक हफ्ते में जवाब मांगा। याचिका में लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण का मतदान संपन्न होने के 48 घंटे में मतदान केंद्रवार मत प्रतिशत के आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस मुद्दे पर एडीआर की याचिका पर सुनवाई के बाद यह जवाब मांगा।