ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सख्त लहजे में चीन से कहा है कि मौजूदा समझौतों के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को खत्म कर दिया है। एलएसी से जुड़े सभी मुद्दों को मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के मुताबिक ही हल किया जाना चाहिए। राजनाथ सिंह यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से पूर्व चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू से मुलाकात कर रहे थे। एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भी चीन के प्रति भारत की तल्खी साफ दिखाई दी जब राजनाथ सिंह अपने चीनी समकक्ष से मिले तो हाथ नहीं मिलाया। भारत के रक्षा मंत्री ने बाकी सभी समकक्षों के साथ गर्मजोशी से हाथ मिलाया, लेकिन चीन के मंत्री ली शांगफू से दूरी बना कर रखी। इन सब के बावजूद चीनी मंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच रिश्ते स्थिर और सामान्य हैं।
भारत और चीन के बीच हाल ही में 18वें दौर की कोर कमांडर लेवल मीटिंग हुई है। पांच महीने बाद यह मीटिंग हुई। गलवान झड़प के बाद चीन के डिफेंस मिनिस्टर की यह पहली भारत यात्रा थी ।
एससीओ सम्मेलन
एससीओ रक्षामंत्रियों के सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के बीच सदियों से सांस्कृतिक संबंध हैं। हमने वस्तुओं से लेकर विचारों तक को एक-दूसरे के साथ बांटा है। बदलते समय के साथ हम अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। एससीओ एक मजबूत क्षेत्रीय संगठन के तौर पर उभर रहा है। सम्मेलन में पाकिस्तान को छोड़कर सभी सदस्य देशों के रक्षा मंत्री मौजूद रहे। पाकिस्तान इसमें वर्चुअली शामिल हुआ। इस बार ऑब्जर्वर के तौर पर बेलारूस और ईरान के डेलिगेशन और मिनिस्टर ने भी हिस्सा लिया। राजनाथ सिंह ने चार देशों के रक्षा मंत्रियों से भी लंबी बातचीत की।
राजनाथ की पहली मुलाकात
कजाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर कर्नल जर्नल रुसलान जाख्सिलेकोव के साथ हुई। इसके बाद ईरान के डिफेंस मिनिस्टर ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद रजा अश्तियानी उनसे मिलने पहुंचे। इसके बाद ताजिकिस्तान के रक्षा मंत्री मिले।
अगली बैठक में बिलावल के आने पर भी सवाल
पाकिस्तान के डिफेंस मिनिस्टर ख्वाजा आसिफ के एससीओ समिट में शामिल होने भारत नहीं आए। इसका मतलब ये है कि इस माह फॉरेन मिनिस्टर बिलावल भी शायद मीटिंग के लिए दिल्ली न आएं। भारत ने इन दोनों समिट के लिए पाकिस्तान को न्योता भेजा था।
पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने कहा था कि फॉरेन मिनिस्टर बिलावल भुट्टो जरदारी एससीओ समिट के लिए भारत जाएंगे। इसके बाद ये लग रहा था कि फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग से पहले डिफेंस मिनिस्टर्स की समिट में आसिफ जरूर आएंगे ताकि माहौल ठीक किया जा सके। हालांकि आसिफ के न आने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद अब बिलावल भी अगले महीने भारत न आएं। इस बारे में जल्द ही औपचारिक तौर पर कोई ऐलान किया जा सकता है।
जानिए क्या है एससीओ
एससीओ यानी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का गठन 2001 में हुआ था। यह एक पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल और सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन है। भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान समेत इसके कुल 8 स्थायी सदस्य हैं। शुरुआत में इसमें छह सदस्य- रूस, चीन, कजाकिस्तान, तजाकिस्तान, किर्गिस्तान और उज्बेकिस्तान थे।
2017 में भारत और पाकिस्तान के जुड़ने से एससीओ के स्थायी सदस्यों की संख्या 8 हो गई। 6 देश- आर्मीनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और टर्की एससीओ के डायलॉग पार्टनर हैं। 4 देश- अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया इसके ऑब्जर्वर सदस्य हैं।
न ई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने और उसे समर्थन देने वालों की जवाबदेही तय करने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया है। सिंह ने एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत क्षेत्रीय सहयोग के एक ऐसे मजबूत ढांचे की कल्पना करता है‚ जो ‘सभी सदस्य देशों के वैध हितों का ध्यान रखते हुए उनकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का परस्पर सम्मान करे।’ उन्होंने कहा, भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों के आधार पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने में विश्वास रखता है और इसलिए वह एससीओ सदस्यों के बीच विश्वास और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करता है। ‘यदि कोई देश आतंकवादियों को शरण देता है‚ तो वह दूसरों के लिए ही नहीं‚ अपितु अपने लिए भी खतरा पैदा करता है। युवाओं को कट्टर बनाना केवल सुरक्षा की दृष्टि से ही चिंता का कारण नहीं है‚ बल्कि यह समाज की सामाजिक, आर्थिक प्रगति के मार्ग में भी बड़़ी बाधा है।’