संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। बाजार निगरानी संस्था सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से धन जुटाने में गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) को लचीलापन प्रदान करने को मंजूरी दे दी और सूचकांक प्रदाताओं के लिए एक नियामक ढांचा पेश करने का भी फैसला किया।
ये भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के बोर्ड द्वारा यहां आयोजित 203वीं बैठक के दौरान लिए गए निर्णयों में से एक थे। एक विज्ञप्ति में नियामक ने कहा कि सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) के माध्यम से एनपीओ द्वारा धन जुटाने के लिए लचीलापन प्रदान किया जाएगा।
जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल
इस संबंध में सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर एनपीओ के लिए जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स ( जेडसीजेडपी) के सार्वजनिक निर्गम के मामले में न्यूनतम इश्यू साइज 1 करोड़ रुपये से घटाकर 50 लाख रुपये कर दिया जाएगा।
सूचकांक प्रदाताओं के लिए नियामक ढांचा होगा पेश
मिनिमम एप्लीकेशन साइज
इससे एसएसई के फ्रेमवर्क में फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ेगी। इसके साथ ही सोशल स्टॉक एक्सचेंज पर एनपीओ की ओर से जेडसीजेडपीके मिनिमम एप्लीकेशन साइज को 2 लाख रुपए से कम करके 10,000 रुपए कर दिया गया है. इससे रिटेल सहित ज्यादा सब्सक्राइबर शामिल हो सकेंगे। अन्य निर्णयों के अलावा, प्रतिभूति बाजार में वित्तीय बेंचमार्क के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सूचकांक प्रदाताओं के लिए एक नियामक ढांचा भी पेश किया जाएगा।
रियल एस्टेट परिसंपत्तियां
सेबी ने यह भी कहा कि वह रियल एस्टेट परिसंपत्तियों के आंशिक स्वामित्व की पेशकश करने वाले ऑनलाइन प्लेटफार्मों को विनियमित करेगा और ऐसे प्लेटफार्मों को छोटे और मध्यम रीट्स के ढांचे के तहत पंजीकृत किया जाएगा।
वैकल्पिक निवेश कोष
अपनी त्रैमासिक बोर्ड बैठक के बाद सेबी ने यह भी कहा कि वैकल्पिक निवेश कोषों द्वारा सभी नए निवेश सितंबर 2024 से डीमैट फॉर्म में रखे जाएंगे।
इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने बोर्ड बैठक के बाद कहा कि निवेशकों को इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग में पैसा गंवाना पड़ रहा है जो चिंता का विषय है। चेतावनी देना नियामक का कर्तव्य है। साथ ही बुच ने कहा कि व्यवस्थित स्तर पर, , “इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग में बढ़ती गतिविधि के कारण हमें कोई चिंता नहीं दिख रही है”।
सूचकांक प्रदाताओं के लिए नियम
नियामक ने सूचकांक प्रदाताओं के लिए नियमों को भी मंजूरी दे दी है और वह भारत में बाजार सहभागियों द्वारा अक्सर उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण सूचकांकों की पहचान करेगा, जो सेबी के नियमों के तहत आएंगे।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज का विचार सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री ( निर्मला सीतारमण ने 2019-20 अपने बजट भाषण में पेश किया था। इसका उद्देश्य निजी और नॉन- प्रॉफिट सेक्टर्स को अधिक धन जुटाने का अवसर देना है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज को आसान भाषा में समझें, तो यह एक तरह से सोशल सेक्टर में काम करने वाले संगठनों को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज का फ्रेमवर्क
– भलाई के काम के लिए एक्सचेंज से पैसा जुटा सकेंगे
– राज्यों के कानून, सोसाइटीज एक्ट, ट्रस्ट एक्ट में रजिस्ट्रेशन
– सेक्शन 8 कंपनीज एक्ट में रजिस्ट्रेशन वाले भी जुड़ सकेंगे
– जुड़ने से पहले के साल में मिनिमम 50 लाख रुपये खर्च जरूरी
– 50 लाख रुपये का खर्च सामाजिक भलाई पर होना जरूरी
– एक्सचेंज से जुड़ने से 1 साल पहले 10 लाख रुपये फंडिंग जरूरी
– संस्था का सरकारी रजिस्ट्रेशन होना जरूरी शर्त होगी
– किसी भी तरह की जांच के दायरे में नहीं होना चाहिए