डॉ. सीमा द्विवेदी
नई दिल्ली । जी20 शिखर सम्मेलन में जैव ईंन्धन गठबंधन पर लगी मुहर को स्वच्छ पर्यावरण की दिशा में एक अहम पहल के साथ आर्थिक रूप से भी काफी फायदेमंद माना जा रहा है। इंडियन बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) का कहना है कि यह जी20 देशों को अगले तीन साल में 500 अरब डॉलर के अवसर मुहैया करा सकता है। आईबीए के एक अध्ययन के मुताबिक जी20 एक सशक्त मंच है जो जैव ऊर्जा को बढ़ावा देने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य ऊर्जा उत्पादन विकल्पों और कच्चे माल की आसान उपलब्धता की तुलना में कम से कम निवेश की आवश्यकता को देखते हुए बायोगैस से ही 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अवसर पैदा हो सकते हैं। जैव ईंन्धन उद्योग को गति देने के लिए वित्तीय सहायता में 100 अरब अमेरिकी डॉलर यानी अगले तीन सालों में प्रत्येक जी20 भागीदार के लिए पांच अरब डॉलर के शुरुआती निवेश की आवश्यकता होगी। यह निवेश निजी निवेश और जैव ईंन्धन खासकर बायोगैस के उत्पादन पर कई गुना अधिक प्रभाव डालने वाला साबित होगा।
जैव ईंन्धन को बढ़ावा देने पर जोर
पारंपरिक ईंन्धन की बढ़ती खपत और उससे होने वाले प्रदूषण से बचाने के लिए जैव ईंन्धन को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है। यह कॉर्बन उत्सर्जन घटाता है। गन्ना, चुकंदर, ज्वार, मक्क ा आदि के कृषि अवशेषों से हासिल गैर-पारंपरिक ईंन्धन किसानों की आय बढ़ाने का साधन है।
भारत ने की उल्लेखनीय प्रगति
2016 में जी20 ने ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए स्वैच्छिक कार्ययोजना अपनाई । भारत ने उल्लेखनीय प्रगति करते हुए पिछले दशक में सौर ऊर्जा में 20 गुना वृद्धि की है। इस अवधि में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा मोटे तौर पर क्रमशः 38 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ी।
करोड़ों डॉलर बचेंगे, नौकरियां भी बढ़ेंगी
आईबीए का कहना है कि जीवाश्म ईंन्धन पर निर्भरता घटने से जी-20 देशों का समग्र आयात बिल अगले तीन सालों में करोड़ों अमेरिकी डॉलर तक घट सकता है जिससे सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करना भी आसान होगा। बढ़ी ऊर्जा सुरक्षा के साथ हर देश के लिए नौकरियों के सृजन की उम्मीद है। इसके अलावा बेहतर वायु गुणवत्ता और बेहतर वातावरण से स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च को भी बचाया जा सकता है।
जैव ईंन्धन गठबंधन की सफलता तकनीकी सहयोग पर निर्भर
रिपोर्ट में कहा गया है कि जैव ईंन्धन गठबंधन की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी की भागीदार देशों के अनुकूल नियामक हों और तकनीकी प्रगति में सहयोग बढ़ाया जाए। इसमें जी-20 देशों में अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और जी20 भागीदारों के भीतर मशीनरी और उपकरणों के हस्तांतरण को आसान बनाने पर भी जोर दिया गया है।