ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा कर्ज देने के नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अब बैंकों को कर्ज की कुल ब्याज दर और अन्य जरूरी शर्तों का पूरा मुख्य विवरण (केएफएस) प्रदान करना अनिवार्य होगा। इस विवरण में कर्ज देते समय लगने वाले अन्य शुल्कों को भी ब्याज दर में ही शामिल करना होगा। इससे बैंक मनमाने शुल्क नहीं वसूल पाएंगे और बैंकिंग प्रणाली में ज्यादा पारदर्शिता आएगी।
मौद्रिक नीति समीक्षा समिति की बैठक के बाद इसके फैसलों की जानकारी दी गई। कई बार देखा गया है कि कुछ बैंक कर्ज के लिए ग्राहकों से मनमाने शुल्क वसूलते हैं। मुख्य विवरण में बैंक द्वारा लोन लेने वाले व्यक्ति को उससे जुड़े सभी शुल्कों के बारे में बताया जाएगा। साथ ही इसमें कर्ज का प्रकार, ब्याज दर-फिक्स या फ्लोटिंग, शुल्क, भुगतान का तरीका, समय पूर्व भुगतान का शुल्क, विलंब शुल्क, विवाद निपटान फीस इत्यादि का उल्लेख होगा। यह ऐसा कदम है, जिससे लोन लेने वाले ग्राहकों और छोटे उद्यमों को उससे जुड़ी समस्य प्रक्रिया को समझने में आसानी होगी।
बैठक में ये भी फैसले हुए
• वित्त वर्ष 2024-25 में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जो चालू वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान की तुलना में कम है। घरेलू आर्थिक गतिविधियां अच्छी हैं। निवेश की मांग में तेजी, आशावादी व्यापारिक भावनाओं तथा बढ़ते उपभोक्ता विश्वास से इसको समर्थन मिलेगा।
महंगाई अनुमान वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 प्रतिशत
– पहली तिमाही में 5 प्रतिशत
– दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत
– तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत
– चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत
•आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पायलट परियोजना में ‘ऑफलाइन’ लेनदेन की शुरुआत करने घोषणा की। इसका मतलब है कि डिजिटल रुपये के ग्राहक सीमित इंटरनेट कनेक्शन वाले क्षेत्रों में भी लेनदेन कर सकेंगे। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, पहाड़ी क्षेत्रों, ग्रामीण और शहरी स्थानों पर इसका परीक्षण किया जाएगा।
गौरतलब है कि आरबीआई ने दिसंबर, 2022 में खुदरा सीबीडीसी की प्रायोगिक शुरुआत की थी। इसने दिसंबर, 2023 में एक दिन में 10 लाख लेनदेन का लक्ष्य हासिल कर लिया था।
कुशल प्रबंधन का फायदा
1. वैश्विक मंदी का असर नहीं
2. अर्थव्यवस्था को तेज गति
3. मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे में
4. कर्ज की दरें लंबे वक्त से स्थिर
5. बैंकों पर एनपीए संकट नहीं
पेटीएम को समय दिया, पर वे सुधरे नहीं : आरबीआई
शक्तिकांत दास ने कहा कि पेटीएम मामले में व्यवस्था के स्तर पर चिंता की कोई बात नहीं है। पेमेंट बैंक पर कार्रवाई नियमों का पालन नहीं करने के कारण हुई है। गवर्नर ने कहा- पेटीएम को पर्याप्त समय दिया था, लेकिन उन्होंने सुधार नहीं किया। कोई संस्था नियमों से नहीं चले तो हमें एक्शन लेना ही होगा। हम एक जिम्मेदार रेगुलेटर हैं। हमारे सभी एक्शन आम निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए हैं। इनसे समझौता नहीं किया जा सकता। पेटीएम मामला एक खास संस्थान से जुड़ा है। पूरे सिस्टम में कोई चिंता की बात नहीं है।