ब्लिट्ज ब्यूरो
वाराणसी। धार्मिक और पर्यटन नगरी काशी जीआई हब के रूप में उभरी है। यहां के खास बनारसी लंगड़ा आम, बनारसी पान, रामनगर के भंटा (सफेद बड़ा गोल बैंगन) और आदमचीनी चावल को जियोग्राफिकल इंडिकेशन एवं आईपीआर का तमगा मिला है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश की झोली में 11 और जीआई टैग आए हैं। इनकी कुल संख्या अब 45 हो गई है। इस माह के अंत तक 9 और उत्पादों को जीआई टैग मिलने की उम्मीद है।
रामनगर का सफेद भंटा चोखा
रामनगर का सफेद भंटा चोखा के लिए मशहूर है। वाराणसी दौरे पर आए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी रामनगर भंटे के चोखे का लुत्फ उठा चुके हैं। आदमचीनी चावल की सुगंध लोगों का मन मोह लेती है तो अलग पान के पत्ते से ही बनारसी पान बेहद खास है। बनारसी लंगड़ा आम तो बेहद खास है। इस माह के अंत तक बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडाई, बनारस लाल भरवा मिर्च के साथ चिरईगांव का करौंदा भी जीआई में शामिल हो जाएंगे।
कोविड काल में बनारस समेत प्रदेश के अन्य जिलों के 20 उत्पादों का जीआई रजिस्ट्रेशन का जिम्मा नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) और ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने उठाया। जीआई एक्सपर्ट पद्मश्री डॉ. रजनीकांत ने बताया कि गर्मी में बनारस का लंगड़ा आम जीआई टैग के साथ दुनिया के बाजार में दस्तक देगा। बनारसी लंगड़ा आम के लिए जया प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने आवेदन किया था। रामगनर भंटा के लिए काशी विश्वनाथ फार्म्स प्रोड्यूसर कंपनी, आदमचीनी चावल के लिए ईशानी एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी और बनारस पान (पत्ता) के लिए नमामि गंगे फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने आवेदन किया था।
सात अन्य को भी मिला टैग
उत्तर प्रदेश के जिन अन्य 7 उत्पादों को जीआई सर्टिफिकेट मिला है उनमें अलीगढ़ का ताला, हाथरस हींग, मुजफ्फरनगर का गुड़, नगीना वुड कार्विंग, बखीरा ब्रासवेयर, शजर पत्थर क्राफ्ट, प्रतापगढ़ का आंवला शामिल हैं।
बनारस का सफर जारी
बनारस के मशहूर उत्पादों को जीआई टैग मिलने का वर्ष 2007 में शुरू हुआ सफर जारी है। 2009 में पहला टैग बनारसी साड़ी को मिला था। इसके बाद बनारस की गुलाबी मीनाकारी, ग्लास बीड्स, लकड़ी के खिलौने, सॉफ्ट स्टोन जाली वर्क के साथ ही भदोही के कारपेट, दरी, गाजीपुर के वॉल हैंगिंग, आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी, कालानमक चावल, चुनार के बलुआ पत्थर और स्टोन शिल्प को जीआई का दर्जा हासिल हो चुका है।