ब्लिट्ज ब्यूरो
कोलकाता। ‘जदि केऊ डाक सुने ना आसे तबे एकला चलो ले रे…’ यानी अगर कोई आपकी आवाज सुनकर नहीं आए तो अकेले ही चल पड़िए। महान स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस की इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है मध्यप्रदेश की बेटी आशा मालवीय ने। वह पिछले 163 दिनों से अकेले चल रही हैं। अब तक 12 राज्यों का 11650 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी हैं। सोलो साइकिल यात्रा पर पश्चिम बंगाल उनका 13वां राज्य है। एक ही सपना है, एक ही जिद है और एक ही संदेश देना चाहती हैं, महिलाओं का सशक्तिकरण और महिलाओं की सुरक्षा।
आशा कहती हैं, जब-तब यही कहा जाता रहा है कि भारत महिलाओं के लिए सेफ नहीं है। तब मेरे मन में आया, चलो देखते हैं, क्या मेरा देश वैसा ही है। और एक नवंबर, 2022 भोपाल से शुरू हुई मेरी यात्रा। मैं पिछले 163 दिनों से चल रही हूं। 12 राज्य पार कर चुकी हूं। मैं अकेले चल रही हूं। कोई संगी-साथी नहीं है। रात में भी सफर करती हूं। लेकिन अब तक के अनुभव से कह सकती हूं कि हमारा देश दुनिया का सबसे सेफ देश है। एक सवाल के जवाब में कहती हैं, जब कोई साथ नहीं मिला, तो अकेली निकल पड़ी। बचपन से सुनते आ रहे हैं…एकला चलो रे। मेरा संदेश है महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के नाटाराम गांव की रहने वाली आशा राष्ट्रीय खिलाड़ी और पर्वतारोही हैं। मैं इस संदेश के साथ निकली हूं कि अगर आप घर से निकलेंगी नहीं, तो सशक्त कैसे होंगी। बेटियों को पढ़ाई के साथ-साथ आत्मरक्षा का प्रशिक्षण भी देना चाहिए। बेटियों को उच्च शिक्षा हासिल करनी होगी। देश बहुत आगे निकल चुका है, बेटियों को अपनी हिस्से की जिम्मेदारी निभानी होगी। वह कहती हैं, मुझे देखिए-पिछले 163 दिनों से रात-दिन, धूप-बारिश, आंधी-तूफान, सब कुछ झेल रही हूं, लेकिन किसी तरह की कोई दिक्क त नहीं हुई है।
आशा ने बताया कि बंगाल पहुंचने पर उनकी साइकिल में कुछ दिक्क तें आने लगी थीं। इसे देखकर बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने तुरंत एक नई साइकिल उन्हें दी। राज्यपाल ने उनकी हौसला अफजाई की। अब तक की यात्रा में वे नौ मुख्यमंत्रियों और 11 राज्यपालों से मिल चुकी हैं। 180 आईएएस और 180 आईपीएस अधिकारियों से मुलाकात कर चुकी हैं। अब तक वे विभिन्न जगह 122 से अधिक जागरुकता कार्यक्रम भी कर चुकी हैं।
आशा ने कहा एक मजदूर की बेटी को जो सम्मान अब तक मिला है, वह अकल्पनीय है। उन्होंने कहा, 15 अगस्त को देश की राजधानी में उनकी यह यात्रा संपन्न होगी। तब तक वे देश के 28 राज्यों में 25000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुकी होगी।