ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में लागू किए गए आपराधिक न्याय कानूनों से जुड़ी 12 संदर्भ पुस्तकों का विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुस्तकों में कानूनों में किए गए बदलावों को संक्षिप्त और सरल तरीके से स्पष्ट रूप से सामने लाया गया है। उन्होंने तीनों कानूनों पर संदर्भ पुस्तकों के लिए प्रकाशकों की सराहना की और कहा कि ये किताबें आसानी से समझने के लिए मामलों के उदाहरण भी देती हैं।
तीन नए कानूनों भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पिछले सप्ताह संसद की मंजूरी मिली थी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को अपनी सहमति दी थी। ये कानून औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
शाह ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘मैं मोहन लॉ हाउस को नए क्रांतिकारी आपराधिक न्याय कानूनों से संबंधित संदर्भ पुस्तकों को रिकॉर्ड कम समय में प्रकाशित करने के लिए बधाई देता हूं।’
उन्होंने कहा कि इन कानून की किताबों में विभिन्न प्रावधानों को आसानी से समझने के लिए उपयोगकर्ता (यूजर्स) के अनुकूल तुलनात्मक संदर्भ हैं और नए कानूनों में लाए गए बदलावों को भी उजागर किया गया है।
गृह मंत्री ने कहा कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध आईपीसी की धारा 375 के तहत आते थे लेकिन अब यह नए कानून की धारा 63 में है। हत्या जैसा गंभीर अपराध आईपीसी की धारा 300 के तहत था, लेकिन अब नए कानून में धारा 101 के तहत आता है। उन्होंने कहा, ‘मैं पब्लिशिंग हाउस के प्रबंध निदेशक डॉ. विनय आहूजा को धन्यवाद देता हूं। हमारे कानून के प्रति उत्साही और दिग्गजों के लाभ के लिए आज पुस्तकों को लॉन्च करने में खुशी हो रही है।’
एक अन्य पोस्ट में शाह ने प्रकाशन कंपनी लेक्सिस नेक्सिस के प्रबंध निदेशक उदित माथुर और बिक्री निदेशक महेंद्र चतुर्वेदी को तुरंत किताबें जारी करने के लिए बधाई दी और कहा कि नई प्रकाशित पुस्तकें कानूनों की प्रभावी समझ को बढ़ाएंगी। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘हाल ही में पारित तीन ऐतिहासिक आपराधिक न्याय कानूनों पर संदर्भ पुस्तकों को लॉन्च करते हुए खुशी हो रही है।
कानून की इन तीन किताबों में सभी हितधारकों के लाभ के लिए नए कानूनों में िए गए सभी बदलावों को बहुत सरल तरीके से सामने लाया गया है।’ एक अन्य पोस्ट में गृह मंत्री ने ईस्टर्न बुक कंपनी के निदेशक सुरेंद्र मलिक और वरिष्ठ सहयोगी संपादक भूमिका इंदुलिया को तेजी से किताबें लिखने के लिए तहेदिल से धन्यवाद दिया।