नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तेजाब से हमला करने के एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि तेजाब से हमला सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। आरोपी ने लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर जमानत मांगी थी। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे अपराधों पर रोक के लिए एक प्रभावशाली निवारक तंत्र स्थापित करना आवश्यक है।
आरोपी के लंबे समय तक कारावास में रहने को न्याय के लिए पीड़िता की प्रतीक्षा के समान ही देखा जाना चाहिए। आरोपी ने इस आधार पर जमानत दिए जाने का अनुरोध किया था कि इस अपराध के लिए न्यूनतम सजा 10 साल है और वह पहले ही नौ साल न्यायिक हिरासत में बिता चुका है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि तेजाब से हमला बहुत ही गंभीर अपराध है। यह अपराध अक्सर जीवन बदल देने वाले घाव देता है। इससे न केवल शारीरिक, बल्कि भावनात्मक पीड़ा भी होती है।
पीड़िता की अनदेखी नहीं कर सकते
ऐसे मामलों में अदालत की भूमिका न्यायिक संरक्षक के रूप में होती है। यह अदालत पीड़िता की अनदेखी, मनोवैज्ञानिक पीड़ा और उसके जीवनभर बने रहने परिणामों पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती। इस घटना से किस प्रकार समाज में कई लड़कियों में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हुई होगी, इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।