ब्लिट्ज ब्यूरो
मॉस्को। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूस के चुनाव में रिकॉर्ड जीत हासिल की है। सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत हो गई है। पुतिन के पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि पुतिन के हजारों विरोधियों ने मतदान केंद्रों पर प्रदर्शन किया। इस बीच रूस के नतीजों पर अमेरिका ने कहा कि वोटिंग न तो स्वतंत्र थी और न ही निष्पक्ष थी।
रूस के केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार पुतिन ने 87.98 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। इसके पहले एग्जिट पोल में भी ऐसा अनुमान लगाया गया था। पोलस्टर पब्लिक ओपिनियन फाउंडेशन के एक एग्जिट पोल के अनुसार, पुतिन को 87.8 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो सोवियत इतिहास के बाद रूस में किसी नेता को मिलने वाला सबसे बड़ा समर्थन है। रशियन पब्लिक ओपिनियन रिसर्च सेंटर ने पुतिन को 87 प्रतिशत पर रखा है। पहले आधिकारिक नतीजों ने भी एग्जिट पोल को सही ठहराया है। चुनाव अधिकारियों के मुताबिक, 74.22 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2018 के 67.5 प्रतिशत से काफी अधिक है।
दूसरे नंबर पर हैं निकोलाई खारितोनोव
नतीजे बताते हैं कि 71 वर्षीय पुतिन ने अगले 6 साल का कार्यकाल आसानी से सुरक्षित कर लिया है, जिससे वह जोसेफ स्टालिन से आगे निकल गए हैं और 200 वर्षों से अधिक के रूस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेता बन जाएंगे। दूसरे नंबर पर आने वाले कम्युनिस्ट उम्मीदवार निकोलाई खारितोनोव 4 प्रतिशत से कम वोट हासिल करके दूसरे नंबर पर रहे हैं। व्लादिस्लाव दावानकोव तीसरे और लियोनिद स्लटस्की चौथे नंबर पर रहे।
अमेरिका ने क्या कहा?
अमेरिका ने इन चुनावों की वैधता पर सवाल उठाए हैं। व्हाइट हाउस की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा, “चुनाव स्पष्ट रूप से स्वतंत्र या निष्पक्ष नहीं हैं, क्योंकि पुतिन ने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया है और दूसरों को उनके खिलाफ चुनाव लड़ने से रोका है।” वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूसी राष्ट्रपति चुनाव को धोखाधड़ी बताते हुए कहा कि इसकी कोई वैधता नहीं है। रूस में ये चुनाव पुतिन के यूक्रेन पर फुल स्केल हमले के दो साल से अधिक समय के बाद हुए हैं।



















