संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। अनुमान है कि पिछले नौ वर्षों में 24.82 करोड़ भारतीय बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं, नीति आयोग द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, गरीबी का स्तर 2013-14 के 29.17 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 11.28 प्रतिशत हो गया है, जिससे इसमें 17.89 प्रतिशत की कमी आई है।
‘2005-06 से भारत में बहुआयामी गरीबी’ विषय पर पेपर नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रमण्यम की उपस्थिति में जारी किया था।
यह पेपर चंद और संघीय थिंक टैंक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी द्वारा लिखा गया है। ऑक्सफोर्ड नीति और मानव विकास पहल और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने इसके लिए तकनीकी इनपुट प्रदान किए हैं।
बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) मौद्रिक पहलुओं से परे कई आयामों में गरीबी को पहचानने का विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त तरीका है। बहुआयामी गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर में सुधार के जरिये मापा जाता है। यह 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाए जाते हैं।




















