ब्लिट्ज ब्यूरो
मंुबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए 93 साल की बुजुर्ग महिला को बड़ी राहत दी है। यह महिला दक्षिण मुंबई स्थित अपने दो फ्लैट पर कब्जा पाने के लिए बीते 80 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रही थी। अदालत ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया है कि वह महिला को दोनों फ्लैट वापस करे जिन्हें 1940 में कब्जे में लिया गया था। इतनी लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाली महिला का नाम अलाइस डिसूजा है। यह फ्लैट मुंबई के मेट्रो सिनेमा के पीछे मौजूद रूबी मेंशन के पहले फ्लोर पर हैं जो पांच सौ और छह सौ स्क्वायर फुट के हैं। 28 मार्च 1948 के दिन रूबी मेंशन को ‘डिफेंस ऑफ इंडिया’ के लिए अधिगृहीत किया गया था।
हालांकि बाद में फर्स्ट फ्लोर को छोड़कर बाकी घरों को धीरे धीरे उनके मूल मालिकों को लौटा दिया गया। हाई कोर्ट के जज रमेश धानुका और मिलिंद साठ्ये ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इन घरों को शांतिपूर्ण तरीके और खाली कराकर याचिकाकर्ता को वापस लौटाएं। अदालत ने अपने आदेश में यह काम आठ सप्ताह के भीतर करने का आदेश दिया है। अदालत ने 93 साल की महिला के पक्ष में फैसला देते हुए फ्लैट पर मौजूदा कब्जेदारों की याचिका को खारिज कर दिया।
मौजूदा कब्जेदार कौन हैं?
17 जुलाई 1946 को बॉम्बे के तत्कालीन गवर्नर ने डिफेंस ऑफ इंडिया नियम के अंतर्गत इस प्रॉपर्टी के असली मालिक और डिसूजा के पिता एचएस डीएस को यह आदेश दिया था कि वह यह प्रॉपर्टी लॉड नाम के गवर्नमेंट कर्मचारी को दे दें। हालांकि ,24 जुलाई 1946 को कलेक्टर ने इन संपत्तियों को ‘रिक्वीजिशन’ के दायरे के बाहर कर दिया। निर्देशों के बाद भी इन फ्लैट्स का कब्जा एचएस डीएस को नहीं सौंपा गया। 21 जून 2010 को एकमोडेशन कंट्रोलर बॉम्बे लैंड रिक्वीजिशन एक्ट 1948 के तहत फ्लैट के कब्जेदारों (लॉड के बेटे मंगेश और बेटी कुमुद फोंडकर) को इसे खाली करने का निर्देश दिया। तब तक लॉड की मौत हो गयी थी।
इसके बाद 26 अगस्त 2011 को संबंधित (अपीलेट अथॉरिटी) ने भी इस फैसले को सही ठहराया। इस बीच मंगेश और कुमुद के गुजरने के बाद उनके पोते ने इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चैलेंज किया था। अदालत ने माना कि इस मामले में कोई दम नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि बॉम्बे लैंड रिक्विजिशन एक्ट 11 अप्रैल 1948 को अस्तित्व में आया था जबकि यह मामला उसके पहले का है। ऐसे में इस कानून के तहत इस पर कैसे सुनवाई हो सकती है। इस मामले में अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के भी कुछ आदेशों का हवाला दिया।