ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। वायु प्रदूषण फैलाने वाले स्रोत में बेकरी भी प्रमुख कारक है। एक रिसर्च के अनुसार मुंबई की 47 प्रतिशत बेकरी की भट्टी में भंगार की लकड़ियां इस्तेमाल होती हैं, जिनसे निकले धुएं का लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। एनजीओ बॉम्बे एनवायरनमेंटल एक्शन ग्रुप ने मुंबई की बेकरी पर खाद्य पदार्थ बनाने से जुड़ा सर्वे किया, जिसमें बीएमसी की रजिस्टर्ड 560 बेकरी में 216 की पड़ताल की गई। इस दौरान पाया गया कि 216 में 100 बेकरी भट्टी में भंगार की लकड़ियां (निर्माण में लगने वाल लकड़ी, फर्नीचर वालों के यहां बची लकड़ी, पुराने-टूटे फर्नीचर, सनमाइका-प्लाईबोर्ड आदि) इस्तेमाल हो रही हैं।
मीथेन, कार्बन कर रहे जेनेरेट
छोटी बेकरी में रोजाना 50 से 100 किलो, जबकि बड़ी बेकरी में 250 से 300 किलो लकड़ियां इस्तेमाल हो रही हैं। 20 किलो मैदे का पाव बनाने में करीब 5 किलो लकड़ी जलती है, जिनसे मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड जैसी सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली गैस निकलती हैं। एनजीओ की पूर्व कैंपेन डायरेक्टर हेमा रमानी के अनुसार बेकरी से उत्सर्जन खत्म करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
सस्ते के चक्क र में लकड़ी का उपयोग
– भंगार लकड़ियां सस्ती होने से बेकरी इनका इस्तेमाल करती हैं, हालांकि सेहत के लिए यह घातक हैं।
– ईंन्धन वाली लकड़ी 15 रुपये प्रति किलो है, जबकि भंगार की लकड़ियां 5 रुपये प्रति किलो हैं।
– कमर्शियल सिलिंडर का उपयोग किया जाए, तो 92.05 रुपये प्रति किलो का खर्च आएगा।
– पीएनजी का उपयोग करते हैं, तो 58.78 प्रति किलो की लागत आएगी।
– यदि बिजली का उपयोग करते हैं, तो 12 रुपये प्रति यूनिट ख़र्च होंगे।
प्रदूषण का प्रमुख कारक
– 72 बेकरी में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों से एक वर्ष में 118207.44 किलो पीएम 10 और 80381.06 पीएम 2.5 उत्सर्जित होती है।
– डीजल से रोजाना 0.04 किलो, एलपीजी से रोजाना 0.364 किलो और बिजली से रोजाना सबसे कम 0.0026 किलो प्रति का पीएम 10 उत्सर्जित होता है।
सेहत पर पड़ने वाला असर
लकड़ियों को जलाने पर उनसे निकले धुएं और अवशेष से सांस संबंधित बीमारी जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, खांसी, नाक बहना आदि समस्याएं होती हैं। इसके अलावा गले, नाक और आंखों में जलन, त्वचा रोग जैसे एक्जिमा और स्किन रिएक्शन होने का खतरा होता है।
बीएमसी बना रही नई पॉलिसी
बीएमसी ने भी मुंबई में बेकरियों का सर्वे किया है। उसकी कोशिश है कि लकड़ी का उपयोग करने वाली बेकरियों को इलेक्टि्रक और ओवन में तब्दील किया जाए, इसके लिए वॉर्ड लेवल पर बैठक हो रही है। नई बेकरियों को हम बिजली पर ही काम शुरू करने की अनुमति दे रहे हैं।
-मिनेश पिंपले, डेप्युटी म्युनिसिपल कमिश्नर (एनवायरनमेंट)
ठोस ईन्धन सबसे हानिकारक
ठोस ईंन्धन का इस्तेमाल प्रदूषण के सबसे हानिकारक स्रोतों में से एक है। बेकरी वाले विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाले ठोस ईंधन का उपयोग करते हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम से धनराशि आवंटित कर और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी बनाकर, हम स्वच्छ ईंन्धन अपनाने के लिए आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्ध करा सकते हैं। इसी के साथ सख्त नियम उपाय अनुपालन की जरूरत है।
-डॉ. तुहिन बैनर्जी
अध्ययन के प्रोजेक्ट हेड