नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में टीबी से होने वाली कुल मौतों में भारत की हिस्सेदारी 34 फीसद है। विश्व में टीबी संक्रमित कुल मरीजों में से 26 प्रतिशत अकेले भारत में हैं।
चीन में टीबी संक्रमित मरीजों की संख्या भारत की एक तिहाई है जबकि चीन की आबादी भारत से ज्यादा है। सबसे ज्यादा टीबी के मामले भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान में दर्ज किए गए हैं। भारत ने 2025 तक टीबी मुक्त होने का लक्ष्य तय किया है। जिसका मतलब है कि भारत को प्रति एक लाख पर एक मामले तक आना होगा।
प्रति लाख पर 211 मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल भारत में प्रति लाख पर 211 मामले दर्ज किए जाते हैं। भारत में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम वर्ष 1962 से चल रहा है। 9 सितंबर 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का ‘प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया। वर्ष 2017 में भारत के पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में टीबी को 2025 तक ख़त्म करने का लक्ष्य रखा था, जो कि भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन स्ट्रेटेजिक प्लान, 2017-2025 का हिस्सा था।
वैश्विक लक्ष्य 2030 का
टीबी उन्मूलन का वैश्विक लक्ष्य 2030 है।16 दिसंबर 2021 को ‘द यूनियन’ पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक पोषण की कमी और टीबी का जोखिम एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। कुपोषण से टीबी का खतरा बढ़ जाता है और टीबी होने पर व्यक्ति कुपोषित हो जाता है। टीबी की दवाइयों को झेलने के लिए शरीर को प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार की जरूरत होती है जबकि ग्लोबल हंगर इंडेक्स (वैश्विक भुखमरी सूचकांक) में भारत काफी ऊपर है।
500 रुपये की आर्थिक मदद
यह बात दीगर है कि टीबी के मरीजों की आर्थिक सहायता के लिए राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत भारत सरकार अप्रैल-2018 में निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) लेकर आई। इसके तहत टीबी मरीज को पौष्टिक आहार के लिए 6 महीने तक 500 रुपए प्रतिमाह सहायता दी जाती है।