ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। शिक्षा हर किसी का अधिकार है। इसके बिना इंसान कई चीजों से वंचित रह जाता है, यह हमें जीवन जीने का सलीका भी सिखाती है और ऊंचाइयों को हासिल करने में मदद करती है।
भारत में बहुत से लोगों के लिए शिक्षा प्राप्त करना आज भी उतना आसान नहीं है। ऐसे कई राज्य और शहर हैं जहां की पूरी आबादी में से बड़ी संख्या में लोग शिक्षित नहीं। इनमें से एक है मायानगरी मुंबई।
यूं तो मुंबई को सपनों की दुनिया, हाई-फाई शहर माना जाता है लेकिन चकाचौंध और बड़ी इमारतों से दूर मुंबई की एक डार्क साइड भी है। यहां अभी भी लोग अपनी रोजी-रोटी के लिए छोटे-मोटे काम कर रहे हैं, उनके लिए अच्छी नौकरी पाना मुश्किल है क्योंकि वे शिक्षित नहीं हैं। यहां कितने ऐसे बच्चे हैं तो आर्थिक समस्या की वजह से अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चों की मदद के लिए मुंबई के दहीसर इलाक़े की कुछ अध्यापिकाओं ने झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों के भविष्य को संवारने का ज़िम्मा उठाया है।
– फिलहाल मुफ्त ट्यूशन पढ़ रहे 170 बच्चे
– शिक्षकों ने कई कॉलेज टॉपर्स तैयार किए
23 अध्यापिकाओं से 170 बच्चे लेते हैं ट्यूशन
दहीसर इलाक़े में 23 अध्यापिकाओं ने इन बच्चों के भविष्य को बदलने की ठान ली है। ये अध्यापिकाएं अपनी शिक्षा से झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले बच्चों का भविष्य बनाने में लगी हुई हैं। इस जगह पर तक़रीबन 170 बच्चे हैं जो इन टीचर्स से ट्यूशन लेते हैं। इन बच्चों को नि:शुल्क कोचिंग दी जाती है, सभी बच्चे दहिसर के गणपत पाटिल नगर में रहते हैं। स्कूल के बाद ये बीएमसी पार्क के पास इस केंद्र में पहुंचकर पढ़ाई करते हैं।
10 साल से निशुल्क ट्यूशन
यहां सभी अध्यापक महिलाएं हैं और 10 वर्षों से निशुल्क ट्यूशन कक्षाएं आयोजित कर रही हैं। इसकी शुरूआत वोने डिसूजा ने की थी। शुरुआत के दिनों में यहां पास की झुग्गियों से सिर्फ छह बच्चे आते थे और दो शिक्षक थे। आज, 23 शिक्षक स्वयंसेवा करते हैं और लगभग 170 बच्चे मुफ्त शिक्षा पाते हैं।
टॉपर बने छात्र
इस जगह पर आकर शिक्षा प्राप्त करने वाले कई छात्र अपने-अपने स्कूल के टॉपर बने। कई छात्र मुंबई के बड़े-बड़े कॉलेज में भी गए हैं। वहीं, कुछ छात्र यहां आकर बच्चों की मदद भी कर रहे हैं।