ब्लिट्ज ब्यूरो
अयोध्या। वैज्ञानिक दृष्टि से ग्रहण लगने की घटना को खगोलीय घटना माना गया है लेकिन धार्मिक दृष्टि से जब सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण लगता है तो ज्योतिष शास्त्र में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। 2023 का आखिरी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण अक्टूबर माह में लग रहा है, जिसका प्रभाव मानव जीवन के साथ-साथ संपूर्ण जगत में भी देखने को मिलेगा।
हिंदू पंचांग के मुताबिक अक्टूबर माह की 14 तारीख को सूर्य ग्रहण लग रहा है तो ठीक 15 दिन बाद पूर्णिमा तिथि के दिन 29 अक्टूबर को चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। 15 दिनों के अंतराल में सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने से पूरे देश और दुनिया में इसका प्रभाव रहेगा, जो अशुभ संकेत देगा। कई तरह के बदलाव भी देखने को मिलेंगे।
अयोध्या के ज्योतिषी की मानें तो 9 साल पूर्व पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण लगा था। इसके परिणामस्वरूप सनातन विरोधी गतिविधियों का सफाया हुआ था। अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि दो-दो ग्रहण का प्रभाव देश-दुनिया में रहेगा, जो अशुभता का संकेत दे रहे हैं। इससे आपसी विद्रोह होगा। कई देशों में युद्ध के हालात पैदा होंगे तथा युद्ध भी होगा लेकिन इसका असर भारत में आंशिक रहेगा। ज्योतिषी कल्कि राम ने बताया कि जो भारत के विरोधी हैं, वे अपने कर्मों से विनाश की गति को प्राप्त होंगे।
भारत 21वीं सदी के पथ पर चल रहा है। इसका भविष्य उज्जवल है। शरद पूर्णिमा पर लग रहा चंद्र ग्रहण भारत समेत कई देशों में देखा जाएगा लेकिन सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा। इसका प्रभाव देश दुनिया पर पड़ेगा। मानव जीवन में भी हलचल होगी। ऐसी विषम परिस्थिति में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए, जो ग्रहण काल से राहत देने के साथ-साथ असुविधा से बचाएगा।