चरखी दादरी (हरियाणा)। जज्बा हो तो कोई काम असंभव नहीं है। हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कादमा निवासी 107 वर्षीय रामबाई इसकी बानगी हैं। परिचितों में ‘उड़न परी’ के रूप में मशहूर रामबाई ने तेलंगाना में आयोजित 5वीं राष्ट्रीय वेटरन मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक जीते हैं। रामबाई ने प्रतियोगिता के अंतिम दिन 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में भाग लिया और सबसे पहले दौड़ पूरी कर स्वर्ण पदक जीता। चैंपियनशिप की तीन स्पर्धाओं में वह स्वर्ण जीतने में कामयाब रहीं। वहीं, उनकी छोटी बेटी 65 वर्षीय संतरा देवी ने चैंपियनशिप में दो रजत और एक कांस्य पदक हासिल किया। आयोजकों ने रामबाई को रोल मॉडल के रूप में 2500 खिलाड़ियों के सामने पेश किया। खेल मैदान में रामबाई की फोटो, उम्र व उपलब्धि दर्शाते बैनर भी लगाए गए। रामबाई की दोहती शर्मिला ने बताया कि नानी खुद की फोटो खेल मैदान में लगी देखकर खिलखिला उठीं।
रामबाई चरखी दादरी जिले की सबसे वयोवृद्ध महिला हैं। वे लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में स्वर्ण पदकों की झड़ी लगा रही हैं। दोहती शर्मिला की प्रेरणा से चार साल पहले वे खेल मैदान में उतरी थीं और अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 50 पदक जीत चुकी हैं। एक सप्ताह के अंदर उन्होंने दो राष्ट्रीय स्पर्धाओं में छह स्वर्ण पदक जीते हैं। पांच दिन पहले उन्होंने अलवर में आयोजित 100 मीटर दौड़ स्पर्धा में भी स्वर्ण पदक हासिल किया था।
रामबाई की तरह ही उनकी दो बेटियां 70 वर्षीय सुंदर देवी और 65 वर्षीय संतरा देवी भी एथलीट हैं। ये दोनों भी नेशनल स्पर्धाओं में पदक जीत चुकी हैं। संतरा देवी की बेटी 40 वर्षीय शर्मिला देवी भी एथलीट हैं। ज्यादातर स्पर्धाओं में रामबाई अपनी बेटियों व दोहती के साथ भाग लेने पहुंचती हैं।
रामबाई का परिवार खेल मैदान में प्रेरणास्रोत बना है और इस परिवार का उदाहरण तेलंगाना में आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय चैंपियनशिप में भी दिया गया।
नेपाल, मलेशिया में भी जीता स्वर्ण पदक
रामबाई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भी अपनी छाप छोड़कर देश को चार स्वर्ण पदक जिता चुकी हैं। उन्होंने नेपाल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 100 व 200 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीते थे। इसके अलावा वह मलेशिया में आयोजित 100 व 200 मीटर दौड़ में भी स्वर्ण जीत चुकी हैं।

















