ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि बिना हिंदू रीति- रिवाज और सात फेरे की शादी कानून की नजर में मान्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, हिंदू मैरिज तभी वैध है, जब हिंदू रीति-रिवाज के तहत शादी में सप्तपदी हुआ हो यानी सात वचन और अग्नि के सामने सात फेरे हुए हों। अगर शादी को लेकर कोई विवाद हुआ तो इस तरह की रस्मों के बारे में सबूत देना जरूरी है। कोर्ट ने कहा, हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन करा लेना वैधता का प्रमाण नहीं। जो हिंदू मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहते है, उन्हें जरूरी कंडीशन को मानना होगा।
एक महिला ने तलाक की अर्जी दी थी।
मामला पेडिंग रहने के दौरान दोनों इस बात पर मान गए कि उनकी शादी वैध नहीं थी, क्योंकि शादी हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हुई। कुछ कारणों से उन्होंने एक संस्थान से शादी का सर्टिफिकेट लिया और रजिस्ट्रेशन कराया। कोर्ट ने माना कि शादी हिंदू रीति-रिवाज से नहीं हुई, इसलिए वैध नहीं। इसके बाद कोर्ट ने तलाक की अर्जी निरस्त कर दी।