सिंधु झा
भारत की अध्यक्षता वाले जी20 के एजेंडे में नारी शक्ति के नेतृत्व में विकास को विशेष रूप से शामिल किया गया है। दरअसल, महिलाओं को जब भी समान अवसर मिला है, उन्होंने सिद्ध किया है कि वे हर क्षेत्र में पुरुषों के बराबर ही नहीं, उनसे बेहतर प्रदर्शन भी कर सकती हैं। विज्ञान, खेल, कला, राजनीतिक नेतृत्व, रक्षा, चिकित्सा और इंजीनियरिंग आदि सभी क्षेत्रों में महिलाओं ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। ऐसे में अमृत काल की ओर बढ़ते आत्मनिर्भर भारत में महिला शक्ति की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि महिला सशक्तिकरण के सामाजिक और आर्थिक दोनों पहलू हैं।
पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
आज भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत एक और बड़ी आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरे, इसके लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि कार्य बल में और अधिक महिलाएं भागीदारी करें। वर्ष 2014 से महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं की शुरुआत कर हर चरण में उनके लिए विशेष नीतियां और योजनाएं बनाई गई हैं ताकि नारी शक्ति को जीवन में सुगमता के साथ उड़ान भरने का अवसर मिल सके । इसमें कोई संदेह नहीं कि महिलाओं के सशक्तिकरण से परिवार सशक्त होंगे और सशक्त परिवार के आधार पर ही एक मजबूत समाज और सशक्त राष्ट्र बनेगा।
यात्रा की सारथी
इसी दृष्टिकोण के साथ भारत अमृत यात्रा की ओर बढ़ रहा है और नारी शक्ति उस यात्रा की सारथी बन रही है। अमृत काल की शुरुआत का इससे सुनहरा अवसर नहीं हो सकता कि सामाजिक न्याय की प्रतिमूर्ति जन जातीय समुदाय से आने वाली देश की पहली महिला राष्ट्रपति को देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री, स्वर्णिम भारत की दिशा निर्धारित करने वाला अमृत काल का पहला आम बजट भेंट कर रही हों। भारत के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार ही देखने को मिला । वह भी तब, जब भारत ने अमृत काल के लिए नारी के नेतृत्व में विकास का संकल्प लिया और उसे साकार करने का आधार स्तंभ बीते लगभग 9 वर्षों में तैयार भी कर दिया है। अब जी20 जैसे दुनिया के शक्तिशाली आर्थिक समूह की अध्यक्षता कर रहे भारत ने नारी शक्ति के नेतृत्व में विकास को वैश्विक एजेंडे में शामिल कर विश्व समाज को एक नई दिशा देने की पहल की है। ऐसे में अमृत काल की शुरुआत के पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व बढ़ गया क्योंकि वही राष्ट्र-समाज प्रगति कर सकता है जो महिलाओं का सम्मान करता हो।
सुरक्षा, स्वावलंबन
महिलाओं की सुरक्षा से लेकर उन्हें स्वावलंबी बनाने की दिशा में बीते 9 वर्षों में केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं जिससे आधी आबादी को अपना हुनर दिखाने का सुरक्षित माहौल मिल रहा है। नए भारत की सोच महिला विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि वह महिला के नेतृत्व में विकास की यात्रा पर निकल चुका है।