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नई दिल्ली। चीन और भारतीय सैनिकों की झड़प के बाद उत्पन्न तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेघालय से पड़ोसी देश को बता दिया है कि बॉर्डर पर जो निर्माण कार्य चल रहा है, वह रुकने वाला नहीं । मोदी ने कहा कि आज डंके की चोट पर बॉर्डर पर नई सड़कें, नए पुल, नई रेल लाइन और एयर स्टि्रप बनाने का काम तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि नॉर्थ ईस्ट बॉर्डर एरिया सुरक्षा और समृद्धि के गेटवे हैं। सीमावर्ती गांव कभी वीरान हुआ करते थे,उन्हें हम वाइब्रेंट बनाने में जुटे हैं। सरकार ने आठ साल के कार्यकाल में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की राह में आई सभी बाधाओं को दूर कर दिया है।
तवांग में झड़प के बाद मेघालय की राजधानी शिलांग पहुंचे पीएम मोदी ने दो टूक यह बता दिया कि हम रुकने वाले कतई नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि चीन इस बात से बौखलाया हुआ है कि भारत सीमा पर सड़कों का जाल बिछा रहा है। भारत की ओर से पिछले कुछ वर्षों में न केवल चीन बल्कि पाकिस्तान के बॉर्डर एरिया में भी पूरी गति से सड़कों निर्माण कराया जा रहा है। सरकार का पूरा जोर इंफ्रास्ट्रक्चर पर है।
बाधाओं को दिखाया ‘रेड कार्ड’
मोदी ने कहा कि एनडीए की सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास की राह में आई कई बाधाओं को ‘रेड कार्ड’ दिखाया है। 8 राज्यों को ‘अष्ट लक्ष्मी’ बताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को पूर्वोत्तर के विकास के लिए आठ नींव स्तंभ पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये आठ स्तंभ शांति, ऊर्जा, पर्यटन, 5जी कनेक्टिविटी, संस्कृति, प्राकृतिक खेती, खेल और सामर्थ्य हैं। पूर्वोत्तर, दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार है और यह पूरे क्षेत्र के विकास का केंद्र बन सकता है। मोदी ने कहा कि कई शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, अंतर-राज्यीय सीमा समझौते किए गए और चरमपंथ की घटनाओं में कमी आई है। पिछले आठ वर्ष में क्षेत्र में हवाई अड्डों की संख्या नौ से बढ़कर 16 हो गई और उड़ानों की संख्या बढ़कर लगभग 1,900 हो गयी है जो 2014 से पहले लगभग 900 थी। 2014 के बाद से राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 50 फीसदी तक बढ़ायी गई है। पहले पूर्वोत्तर को बांटने के प्रयास किए गए लेकिन अब हम इस तरह के प्रयासों को रोक रहे हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की राह में आई सभी बाधाओं को किया दूर
तेजी से आगे बढ़ रहा भारत
अरुणाचल के अलावा ईस्टर्न लद्दाख में भी भारत की तरफ से इंफास्ट्रक्चर पर पूरा फोकस है। पिछले 5 साल में चीन की सीमा से लगे इलाकों में करीब 2100 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है जिसके लिए 15 हजार 477 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पिछले सत्र में सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 3 हजार 595 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजना पर 20 हजार 767 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें चीन के साथ ही पाकिस्तान और दूसरे देशों के भी बॉर्डर एरिया हैं। पिछले 5 साल में चीन के साथ लगी सीमा पर 2088 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है। वहीं पाकिस्तान के साथ बॉर्डर पर 1336 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए 4242 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके साथ ही म्यांमार, बांग्लादेश की सीमा के साथ भी सड़क निर्माण जोरों पर है।
बीआरओ की तत्परता
बीआरओ भारतीय सेना के सफर को आसान बनाने में जुटा है। चीन के साथ भारत की जहां भी सीमा लगी है भारत वहां सड़कों का निर्माण कर रहा है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में इसी साल बीआरओ के दो प्रोजेक्टों को मंजूरी मिली थी। एक सड़क का निर्माण जुलाई से शुरू हुआ था। इस सड़क के अंतिम छोर से मात्र 200 मीटर आगे चीन की सीमा है। दूसरी सड़क के भी आखिरी छोर से 300 मीटर आगे चीन सीमा है।
तैयार है भारतीय सेना भी
अरुणाचल के साथ ही लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में भी भारत की ओर से पिछले 2 साल के भीतर इंफ्रास्ट्रक्चर पर काफी जोर दिया गया है। ऐसी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है जो हर मौसम में काम आ सकें। ईस्टर्न लद्दाख में जिस रफ्तार से कनेक्टिविटी बढ़ी है उससे सेना की आवाजाही का वक्त भी कम हुआ है और ऑपरेशनल कैपेबिलिटी भी बढ़ी है। हॉट स्पि्रंग एरिया तक पहुंचने में पहले सैनिकों का काफी वक्त लगता था लेकिन नए निर्माण कार्य से अब ऐसा नहीं है। पूर्वी लद्दाख के अग्रिम इलाकों में चीन को ध्यान में रखते हुए व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। पूर्वी लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र में भारतीय सेना के दस हजार जवानों के रहने की व्यवस्था थी जिसे बढ़ाकर अब 22 हजार कर दिया गया है। आने वाले वक्त में इसे 35 हजार किया जाएगा। पूरी तरह से आधुनिक और कॉम्पैक्ट शेल्टर 18 हजार की ऊंचाई पर बनाए गए हैं। 3 डी बंकर का निर्माण किया जा रहा है।