नई दिल्ली। हाल ही में नई दिल्ली में संपन्न हुई जी20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा छाया रहा। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस बैठक को वर्चुअल रूप से संबोधित किया। नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि ग्लोबल गवर्नेंस पूरी तरह फेल हो चुका है। पीएम ने कहा, ‘‘हमने जी4 समूह में इस बात पर भी सहमति दोहराई कि वैश्विक वास्तविकताओं को बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए बहु पक्षीय संस्थाओं में सुधार आवश्यक है जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी शामिल है। उन्होंने कहा कि इस वक्त पूरी दुनिया में विभाजन और मतभेद का दौर चल रहा है। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि बैठकाें से बेहतर परिणाम निकलकर सामने आएंगे। हमें देशों को बांटने पर नहीं बल्कि जोड़ने पर फोकस करना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से हम वित्तीय संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध जैसी मुश्किलें झेल रहे हैं जो स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि ग्लोबल गवर्नेंस फेल हो गया है। मोदी ने कहा कि हम गहरे वैश्विक विभाजन के समय मिल रहे हैं। इन मतभेदों को कैसे हल किया जा सकता है, इस पर हम सभी की अपनी स्थिति और हमारे अपने दृष्टिकोण हैं। हालांकि, दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, हमारी जिम्मेदारी उन देशों के प्रति भी बनती हैं जो जी20 के सदस्य नहीं हैं।
जी20 में हावी यूक्रेन का मुद्दा : भारत चाहता था कि जी20 की बैठकों में यूक्रेन के मुद्दे और रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों की बात न हो लेकिन बैठक में यूक्रेन का मुद्दा सबसे ऊपर रहा। भारत का कहना था कि संगठन सुरक्षा मुद्दों पर बात करने के लिए नहीं है लेकिन पश्चिमी देशों ने यूक्रेन मुद्दे को सबसे ऊपर रखा। जी20 की बेंगलुरु बैठक में भी यूक्रेन पर साझा बयान जारी नहीं हो सका था। 2 मार्च की बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने भी हिस्सा लिया। बाली जी20 सम्मेलन में भी दोनों नेताओं के बीच किसी तरह की बात नहीं हुई थी। हालांकि, भारत ने मतभेदों को पाटकर एक साझा बयान पर सभी देशों को सहमत करने की पूरी कोशिश की पर बात नहीं बन सकी। पीएम मोदी ने भी सदस्य देशों से यह अपील की थी कि आज आप सब गांधी और बुद्ध की धरती पर मिल रहे हैं। मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि भारत की सभ्यता से सीख लें, बांटने पर नहीं, एकता पर फोकस करें। पीएम मोदी ने जी20 देशों से वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए आपसी मतभेद भुलाने की अपील की। आज विकासशील देशों के सामने ऊर्जा और खाद्य संकट है। उन्हीं की आवाज को इस मंच तक पहुंचाने के लिए भारत ने ग्लोबल साउथ पहल की शुरुआत की है। जी20 देशों में सहमति बनाने और किसी ठोस नतीजे तक पहुंचने की क्षमता है। कोई भी समूह अपने फैसलों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए लोगों को सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता है।
‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की महत्ता बताई : पीएम ने भारत की जी20 प्रेसीडेंसी के लिए ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विषय को भी समझाते हुए उद्देश्य और कार्रवाई की एकता पर बल दिया। चुनौतियों को कम करने के लिए दुनिया आज जी20 की ओर देख रही है।
दुनिया के सतत विकास पर संकट का खतरा : उन्होंने कहा कि वर्षों की प्रगति के बाद दुनिया के सतत विकास पर आज खतरा मंडरा रहा है।