दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपना 100 वां दिन पूरा किया। उन्होंने इस अवधि के दौरान सुप्रीम कोर्ट में 14 हजार से ज्यादा मामले निपटाए गए। इनके ही कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्री वर्क भी पूरी तरह पेपरलेस हो गया है।
सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल की सबसे बड़ी बात ये रही कि सुप्रीम कोर्ट में उनके शपथ ग्रहण यानी 9 नवंबर 2022 से लेकर 15 फरवरी 2023 तक कुल 13,764 मामले दायर हुए जबकि 14,209 मामलों का निपटारा किया गया।
कार्यकाल में हुईं पहल
– इलेक्ट्रॉनिक-सुप्रीम कोर्ट रिपोर्ट्स (ई-एससीआर) प्रोजेक्ट, जिसने 34 हजार फैसलों को ऑनलाइन फ्री उपलब्ध कराया। n3,132 फैसलों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद कराया गया। इनमें हिंदी में 2952, तमिल में 52, मलयालम में 29, तेलुगू में 28, उड़िया में 21, कन्नड़ में 17, मराठी में 14, असमिया और पंजाबी में 4-4, नेपाली, गुजराती और उर्दू में 3-3, गारो और खासी में 1-1 फैसले शामिल थे।
– एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के जरिए मैन्युअल रूप से पेशी दाखिल करने की प्रथा खत्म करके एडवोकेट अपीयरेंस स्लिप पोर्टल लॉन्च किया।
– हाइब्रिड मोड में वीडियो-कॉन्फ्रेंस सुनवाई जारी रखना और संविधान पीठ के मामलों की लाइव-स्ट्रीमिंग।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके
जस्टिस चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था। वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज काम कर चुके हैं। बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं। सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या केस में जज रह चुके हैं।

सीजेआई की पहल पर ही 1950 में स्थापना के बाद से पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने स्थापना दिवस मनाया। इसमें सिंगापुर के मुख्य न्यायाधीश सुंदरेश मेनन शिरकत की। मेनन ने बदलते विश्व में न्यायपालिका की भूमिका विषय पर पहला व्याख्यान दिया। हाल ही में यूएस स्टेट कोर्ट के 23 जजों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी सुप्रीम कोर्ट का दौरा किया और सीजेआई से मुलाकात की।

जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ देश के 16वें सीजेआई थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक यानी करीब 7 साल तक रहा। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद उसी पद पर बैठे। जस्टिस चंद्रचूड़ पिता के 2 बड़े फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में पलट भी चुके हैं। वह बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं।