दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय प्रणाली सभी के लिए उपलब्ध हो। न्यायपालिका यह सुनिश्चित करने के लिए तरीके व तकनीक अपना रही है।
संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित समारोह में सीजेआई ने कहा कि हमारी अदालतों से जो न्यायशास्त्र निकला है, उसने दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों में फैसलों को प्रभावित किया है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के तिलक मार्ग पर स्थित है लेकिन अब वर्चुअल तरीकों से वकीलों के लिए कहीं से भी मामले में बहस करना संभव हो गया है। मामलों को सूचीबद्ध करने के लिए अब प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की जरूरत है।अब जिला न्यायपालिका को अधीनस्थ न्यायपालिका की मानसिकता से ऊपर उठाना होगा। आज प्रधानमंत्री वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्टिस मोबाइल एप 2.0, डिजिटल कोर्ट और वेबसाइटों को लांच करने यहां आए। वह सभी को आश्वस्त करते हैं कि आज शुरू की गई पहल से वंचितों को न्याय मिलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
पं. नेहरू को किया याद
चंद्रचूड़ ने इस मौके पर देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को भी याद किया। आजादी के मौके पर पं. नेहरू के संबोधन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अतीत हमसे अभी भी कुछ हद तक जुड़ा हुआ है। हमें वादों को पूरा करने के लिए काफी कुछ करना है। आजादी के पहले हाशिए पर खड़े लोगों के संघर्ष को बयां करते हुए कहा कि संविधान की नींव सबसे पहले उन्होंने ही रखी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने मार्टिन लूथर किंग जूनियर के एक कथन को याद किया। इसमें उन्होंने कहा था कि ब्रह्मांड का चक्र लंबा है लेकिन यह न्याय के आगे झुक जाता है।
न्याय को बढ़ाने के मिशन के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता: न्यायमूर्ति कौल
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने कहा कि विधायी प्रभाव का अध्ययन और प्रस्तावित कानून के सामाजिक संदर्भ की जांच करने से अनावश्यक मुकदमेबाजी को रोका जा सकता है।