आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। 25 नवंबर को दुनिया ने अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया। इस दिन की शुरुआत 1960 में 3 बहनों की हत्या किए जाने के बाद उनकी स्मृति में की गई थी। तभी से आज तक इस दिन को महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने का एक मकसद यह भी है कि लोग जागरूक हों तथा महिलाओं पर अत्याचार के मामले रुक जाएं।
वहीं अगर हम अपने देश भारत की बात करें तो यहां पति को परमेश्वर माना जाता है लेकिन कभी वो पति परमेश्वर महिला के लिए राक्षस भी बन जाता है। इसकी एक रिपोर्ट नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2019-2021) ने निकाली है जिसमें हरियाणा में सबसे ज्यादा ऐसे मामले देखे गए जहां पति ने पत्नी को शारीरिक और यौन हिंसा का शिकार बनाया। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में 17.9 फीसदी महिलाओं पर पतियों द्वारा अत्याचार होता है। वहीं पंजाब में 11.6 फीसदी महिलाएं पति द्वारा की जाने वाली शारीरिक व यौन हिंसा की शिकार हैं। चंडीगढ़ (9.7 फीसदी)और हिमाचल (8.6 फीसदी) में महिलाओं की स्थिति थोड़ी ठीक है।
सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार पंजाब व हरियाणा में भावनात्मक हिंसा भी ज्यादा है। महिलाओं को अपशब्द व रिश्तेदारों से संबंधित ताने व छींटाकशी भी सुननी पड़ती है। इन सभी चीजों को लेकर महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर 3 में से 1 लड़की जो कि 15 साल से बड़ी है, वो किसी न किसी रूप से हिंसा का शिकार हो रही है। 2021 में महिलाओं पर अत्याचार के 74 करोड़ से अधिक मामले आए थे।इन पर है।