ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस समारोह में हिस्सा लिया। इस दौरान ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों और वेबसाइट का उद्घाटन किया। समारोह में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, कानून मंत्री किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज भी मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 1949 में यह आज का ही दिन था जब स्वतंत्र भारत ने अपने लिए एक नए भविष्य की नींव डाली थी। इस बार का संविधान दिवस इसलिए भी विशेष है क्योंकि भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- ‘वी द पीपल’ केवल शब्द नहीं हैं, ये एक आह्वान हैं, एक प्रतिज्ञा हैं, एक विश्वास हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया हमें बहुत उम्मीदों से देख रही है। आज पूरे सामर्थ्य से, अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए ये देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है। आजादी का ये अमृत काल देश के लिए ‘कर्तव्य काल’ है। व्यक्ति हों या संस्थाएं; हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा हैं।
पीएम मोदी बोले कि भारत की मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है। आज संविधान दिवस पर मैं देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा कि युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए डिबेट और डिस्कशन को बढ़ाना चाहिए।
कानून मंत्री ने डॉ. आंबेडकर को किया याद
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संविधान वह आधारशिला है जिस पर भारतीय राष्ट्र खड़ा है और हर गुजरते साल नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। हमें बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर के शब्दों को याद करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि इस स्वतंत्रता ने हम पर बड़ी जिम्मेदारी डाली है। इस आजादी के बाद हम किसी भी गलती के लिए अंग्रेजों को दोष नहीं दे सकते। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व सीजेआई एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय सामाजिक समिति का गठन किया है। यह समिति क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करेगी और सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक सामान्य शब्दावली बनाएगी। उन्होंने बताया कि विधायी विभाग (लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट) ने 65,000 कानून के शब्दों वाली एक शब्दावली तैयार की है। हमारी योजना इसे डिजिटाइज करने की है जिसे जनता आसानी से इस्तेमाल कर सके। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावलियों को एकत्र, डिजिटाइज करने और जनता के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।
इन योजनाओं की शुरुआत
2015 से इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ई-कोर्ट परियोजना के तहत विभिन्न नई पहलों का शुभारंभ हुआ। यह परियोजना अदालतों की आईसीटी सक्षमता के माध्यम से वादियों, वकीलों और न्यायपालिका को सेवाएं प्रदान करने का एक प्रयास है। इन पहलों में वर्चुअल जस्टिस क्लॉक, जस्ट इज मोबाइल ऐप 2.0, डिजिटल कोर्ट और एस3डब्ल्यूएएएस वेबसाइट शामिल हैं।
वर्चुअल जस्टिस क्लॉक
वर्चुअल जस्टिस क्लॉक कोर्ट लेवल पर जस्टिस डिलीवरी सिस्टम के जरूरी आंकड़ों को दिखाने की एक पहल है, जिसमें कोर्ट लेवल पर दिन/सप्ताह/महीने के आधार पर स्थापित मामलों, निपटाए गए मामलों और लंबित मामलों की डिटेल्स दी गई हैं। यह कोर्ट की ओर से निपटाए गए मुकदमों की स्थिति को जनता के साथ शेयर कर कोर्ट के कामकाज को जवाबदेह और पारदर्शी बनाने का प्रयास है।
जस्टिस मोबाइल ऐप 2.0
जस्टिस मोबाइल ऐप 2.0 न्यायिक अधिकारियों के लिए इफेक्टिव कोर्ट और केस मैनेजमेंट के लिए उपलब्ध एक उपकरण है, जो न केवल उनकी अदालत, बल्कि उनके अधीन काम करने वाले व्यक्तिगत जजों के लंबित मामलों और निपटान की निगरानी करता है। यह ऐप हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए भी उपलब्ध कराया गया है, जो अब अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी राज्यों और जिलों के पेंडेंसी और निपटान की निगरानी कर सकते हैं।