ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। राजस्थान की बेटी चेतना शर्मा ने इस बार गणतंत्र दिवस परेड में भारत में निर्मित आकाश मिसाइल सिस्टम का नेतृत्व किया। मिसाइल सिस्टम को लीड करते हुए जब चेतना निकलीं तो पूरा कर्तव्य पथ तालियों से गूंज उठा और लोग उनके चेहरे की चमक और शौर्य की तारीफ करते नहीं थके। लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने बताया कि कई बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करती रहीं।
चेतना शर्मा का जन्म राजस्थान के खाटू श्याम गांव में हुआ था। उनके पेरेंट्स वहां एक स्कूल में टीचर थे। शुरुआती पढ़ाई बंधू पब्लिक उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिंदी मीडियम से हुई। ये वही स्कूल था जिसमें चेतना के माता-पिता पढ़ाते थे। शुरुआती दौर में वह ओवरऑल अच्छी, मगर गणित में एवरेज स्टूडेंट रही। 8वीं के बाद गणित की कमजोरी पर फोकस किया। बिना किसी के मदद के एग्जांपल से सम्स सॉल्व किए तो मुझे ये समझ आया कि चाह लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। बस जरूरत है पहल और मेहनत कर के उसे सीखने की। वह जब 10वीं में आईं तो 9 वीं क्लास के बच्चों को गणित पढ़ाने लगी। इसी दौरान अपनी कमजोरियों से लड़ना और जीतना सीखा। गणित जोकल तक कमजोरी था, अब ताकत बन चुका था।
कॉलेज गईं तो दुनिया को अलग नजरिए से देखना सीखा
10 वीं में बहुत अच्छे मार्क्स आए और इसलिए पीसीएम लिया। पढ़ाई को लेकर वह हमेशा अपने बड़े भाई से प्रभावित रही। इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम्स दिए और एनआईटी भोपाल में सिविल इंजीनियरिंग में एडमिशन मिल गया। ये चेतना की पहली जीत थी। सेकेंड ईयर में वीकेंड्स पर भोपाल से होशंगाबाद जाकर एक इंस्टीट्यूट में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। चेतना का कहना है कि अगर उनके माता-पिता ने उन्हें मोटिवेट और सपोर्ट नहीं किया होता तो वो आज यहां तक नहीं पहुंच पाती।
कॉलेज का फाइनल्स देने के बाद मैंने एसएसबी का इंटरव्यू दिया और पहले दिन ही स्क्रीनिंग में बाहर हो गई। मुझे बहुत धक्का लगा। मैं समझ गई कि मुझे अभी बहुत मेहनत करनी है। वापस घर गई तो आईएएस की तैयारी करने के लिए दिल्ली जाने की सोची। इसके बाद मैं तैयारी के लिए दिल्ली रहने लगी और अपना 6 महीने का कोर्स पूरा किया। इस बीच मुझे समझ आया कि आईएएस एग्जाम क्रैक करने में मुझे और समय लगेगा। कोर्स पूरा होते ही जनवरी 2018 में घर चली आई और पेरेंट्स को मनाया कि अब घर पर ही तैयारी करूंगी। घर आने के बाद मैंने एसएससी (स्टाफ सर्विस कमीशन) सीजीएल का फर्स्ट एटेम्प दिया, लेकिन फाइनल लिस्ट में सिलेक्शन नहीं हुआ। इसके बाद सीडीएस का एक इंटरव्यू कॉल आया जिसकी लिखित परीक्षा दिल्ली में रहते हुए दी थी। इस बार भी मैं मेरिट आउट हो गई। ऐसे करते-करते मैंने कुल 6 से 7 एग्जाम्स दिए, लेकिन कई बार असफलता मिली।
मेरी असफलताओं का असर मुझपर ना पड़े, इसलिए घर से दूर चंडीगढ़ शिफ्ट हो गई और कोचिंग में पढ़ाने लगी। यहां मेरे कोचिंग के बॉस प्रतीक सर ने मेरी बहुत हेल्प की। वो मुझे हमेशा मोटिवेट करते। अक्टूबर 2019 में मेरा सीडीएस इंटरव्यू के लिए कॉल आया। इस बार मैंने सारे राउंड क्लियर किए और मेरा लास्ट इंटरव्यू करीब एक घंटे का चला। मेरे अनुसार इंटरव्यू अच्छा रहा था, लेकिन इसके बाद भी मैं खुद को तैयार करने लगी कि अगर नहीं भी हुआ तो मैं मायूस नहीं होंगी।
7 बार असफलता हाथ लगने के बाद चेतना ने हार नहीं मानी और कोशिश करती रहीं। आखिरकार हुई आर्मी के लिए सिलेक्ट जनवरी 2020 में मैं अपने भाई की शादी के लिए घर गई। इस दौरान मेरा रिजल्ट आया और मेरी ऑल इंडिया रैंक 4 थी। मेरे पेरेंट्स और घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं था।